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कांकेर

CG News: 2 ऐसे गांव… जहां पादरियों का प्रवेश प्रतिबंधित, सीमाओं पर लगा चेतावनी बोर्ड

CG News: ग्राम जुनवानी में भी इसी तरह का प्रस्ताव पारित हुआ। वहां भी पादरियों और पास्टरों के गांव में घुसने, धार्मिक गतिविधियों के आयोजन और प्रचार-प्रसार पर रोक लगा दी गई है।

कांकेरAug 07, 2025 / 02:25 pm

Laxmi Vishwakarma

धर्मांतरण का विरोध (Photo source- Patrika)

धर्मांतरण का विरोध (Photo source- Patrika)

CG News: आदिवासी बहुल भानुप्रतापपुर की दो ग्राम पंचायतों कुडाल और जुनवानी में ग्राम सभा प्रस्ताव के तहत चर्चित निर्णय लिया गया है। इन गांवों में अब ईसाई धर्म प्रचारकों, पादरियों और पास्टरों के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। गांव की सभी सीमाओं पर चेतावनी बोर्ड लगा दिए गए हैं। इनमें यह साफ तौर पर लिखा गया है कि पादरी, पास्टर और धर्मांतरण कराने वाले बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित है।

CG News: धर्मांतरण प्रचारक को नहीं दी जाएगी अनुमति

ग्राम कुडाल में कुछ दिन पहले एक धर्मांतरित महिला के शव के दफनाने को लेकर विवाद हुआ था। इसके बाद ही गांव की ग्राम सभा ने एकमत से प्रस्ताव पारित कर निर्णय लिया कि अब गांव में किसी भी धर्मांतरण प्रचारक को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। ग्राम जुनवानी में भी इसी तरह का प्रस्ताव पारित हुआ। वहां भी पादरियों और पास्टरों के गांव में घुसने, धार्मिक गतिविधियों के आयोजन और प्रचार-प्रसार पर रोक लगा दी गई है।
दोनों गांवों की सीमाओं पर लगाए गए बोर्ड में भारत के संविधान की पांचवीं अनुसूची और पीईएसए कानून 1996 का हवाला देते हुए लिखा गया है कि ग्राम सभा को अपनी संस्कृति और परंपरा की रक्षा का संवैधानिक अधिकार है। ग्राम जुनवानी के गायता (धार्मिक प्रमुख) राजेंद्र कोमरा ने कहा, हमारे भोले-भाले ग्रामीणों को पास्टर और पादरी बहला-फुसलाकर धर्म बदलने के लिए मजबूर कर रहे हैं। इससे हमारी आदिवासी संस्कृति और परंपरा पर संकट आ गया है। उन्होंने बताया कि गांव की सीमाओं पर बोर्ड लगाकर प्रवेश प्रतिबंध की सूचना दी गई है, ताकि बाहर से कोई भी व्यक्ति गांव में धर्मांतरण के उद्देश्य से न आ सके।

घर वापसी के बाद कहा-अब अच्छा लगता है

ग्राम कुडाल की निवासी दुकली बाई सलाम ने अपनी आपबीती साझा करते हुए बताया कि परिवार में बीमारी के चलते हमने चर्च जाना शुरू किया था। दो साल तक हम लोग चर्च जाते रहे। समाज ने हमें अलग-थलग कर दिया। शादी-ब्याह या सामाजिक कार्यक्रमों में नहीं बुलाया जाता था। अब हमने स्वेच्छा से मूल धर्म में वापसी की है।
अब गांव में हमें फिर से स्वीकार किया गया है। ग्राम के अन्य ग्रामीण सुकालू कोमरा, अमर सिंह कोमरा, भादू राम नुरेटी और अंकलु कोमरा का कहना है कि पिछले 10 वर्षों से पास्टर और पादरी गांव-गांव जाकर गरीबों को प्रार्थना में बुलाते हैं। फिर डलिया, मक्का, तेल समेत अन्य सामग्री देकर धर्म परिवर्तन करवाते हैं।

ग्राम सभा को संस्कृति बचाने फैसलों का हक

CG News: गांवों में लगाए गए चेतावनी बोर्डों में पांचवीं अनुसूची और पीईएसए कानून का हवाला दिया गया है। इन प्रावधानों के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा को विशेषाधिकार प्राप्त हैं। ग्राम सभा अपनी परंपराओं, जल-जंगल-जमीन और संस्कृति की रक्षा के लिए निर्णय ले सकती है। हालांकि, यह विवादास्पद विषय है और इस पर कानूनी राय अलग-अलग हो सकती है।
फिलहाल, कुडाल और जुनवानी गांवों के ग्रामीण अपने निर्णय पर अडिग हैं। बता दें कि बस्तर संभाग में धर्मांतरण के खिलाफ जनजागृति बढ़ती जा रही है। कई पंचायतों में ग्राम सभाएं आयोजित कर धर्मांतरण पर प्रतिबंध के प्रस्ताव पारित हो रहे हैं। कुछ गांवों में तो अब धर्मांतरण करने वालों के शवों के दफनाने तक पर रोक लगा दी गई है।

18 ने धर्म बदला 5 की घर वापसी

CG News: गायता कोमरा ने बताया कि जुनवानी में 8 परिवारों ने ईसाई धर्म अपना लिया था। ग्रामीणों के समझाने पर 3 परिवार अब अपने मूल धर्म में लौट आए हैं। बाकी 5 परिवारों को भी वापस लाने के प्रयास जारी हैं। इसी तरह ग्राम कुडाल में 10 परिवारों ने ईसाई धर्म अपना लिया था, जिनमें से 2 परिवारों की घर वापसी हो चुकी है। बाकी 8 परिवार अब भी चर्च से जुड़े हैं।
सरपंच बिनेश गोटी, गायता और ग्रामीण बंशीलाल सलाम ने बताया कि धर्मांतरण के कारण पूजा, परंपरा में व्यवधान आ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक सहयोग का लालच देकर धर्मांतरण कराया जा रहा है। इससे गांव में आपसी रिश्ते बिगड़ रहे हैं। झगड़े हो रहे हैं और भाई-भाई में बातचीत बंद हो गई है।

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