इस घटना के बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने मामले की जांच शुरू कर दी है और दोनों पायलटों को उड़ान ड्यूटी से हटा दिया गया है। घटना दोपहर 3 बजे की है, जब मुख्यमंत्री दिल्ली से फलौदी के लिए रवाना हुए थे। फाल्कन-2000 को फलौदी वायुसेना स्टेशन पर लैंड करना था जो सैन्य क्षेत्र में स्थित है। लेकिन पायलटों ने गलती से करीब 5 किलोमीटर दूर स्थित सिविल एयरस्ट्रिप को चुना।
लैंडिंग के तुरंत बाद पायलटों को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने विमान को दोबारा उड़ाकर सही स्थान यानी वायुसेना स्टेशन पर उतारा। इस दौरान कोई बड़ा हादसा तो नहीं हुआ, लेकिन यह घटना उड्डयन सुरक्षा के लिए गंभीर सवाल खड़े करती है।
पायलटों से क्यों हुई चूक?
डीजीसीए सूत्रों के अनुसार, इस चूक का मुख्य कारण फलौदी में दो हवाई पट्टियों की समान भौगोलिक स्थिति है। फलौदी में सिविल एयरस्ट्रिप और वायुसेना स्टेशन के रनवे की दिशा और बनावट में काफी समानता है, जिसके चलते पायलट भ्रमित हो गए। इसके अलावा, उड़ान से पहले पायलटों को दोनों हवाई अड्डों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं दी गई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उड़ान-पूर्व ब्रीफिंग को और सख्त करना होगा। चार्टर कंपनी ने डीजीसीए को इस गलत लैंडिंग की स्वैच्छिक रिपोर्ट दर्ज की है। सूत्रों ने बताया कि सिविल एयरस्ट्रिप और वायुसेना स्टेशन के बीच करीब 5-10 किलोमीटर का फासला है, लेकिन दोनों की समान विशेषताओं के चलते पायलटों से गलती हो गई। डीजीसीए ने इस मामले को गंभीरता से लिया है।
मुख्यमंत्री का कार्यक्रम और वापसी?
बता दें, लैंडिंग के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा हेलीकॉप्टर से रामदेवरा पहुंचे, जहां उन्होंने कुछ घंटे बिताए। इसके बाद वे उसी विमान से फलौदी वायुसेना स्टेशन से जयपुर लौटे। विमान रात में दिल्ली वापस चला गया। सूत्रों का कहना है कि ऐसी घटनाओं में त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई के लिए बेहतर तालमेल की जरूरत है।
फ्रांसीसी व्यावसायिक जेट है फाल्कन
बताते चलें कि फाल्कन-2000 एक फ्रांसीसी व्यावसायिक जेट है, जो 8-10 यात्रियों को 6,000 किलोमीटर की रेंज तक ले जा सकता है। डीजीसीए की जांच में यह पता लगाया जा रहा है कि पायलटों को उड़ान-पूर्व ब्रीफिंग में क्या कमियां थीं और इस चूक को कैसे रोका जा सकता था। क्योंकि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए ऑपरेटरों को उड़ान-पूर्व प्रक्रियाओं को और मजबूत करना होगा।