भजनलाल सरकार को राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ा झटका, प्रस्तावित ग्राम पंचायतों की अधिसूचना पर रोक
Gram Panchayat in Rajasthan: राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि सभी प्रस्ताव अभी प्राथमिक स्तर पर हैं और इनकी जांच-पड़ताल के लिए सरकार ने तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति गठित कर रखी है।
राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि प्रस्तावित ग्राम पंचायतों के गठन को तब तक अधिसूचित नहीं किया जाए, जब तक कि याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों को लेकर उच्च स्तरीय समिति के निर्णय को कोर्ट के विचारार्थ प्रस्तुत नहीं कर दिया जाता। अगली सुनवाई 7 जुलाई को होगी।
न्यायाधीश दिनेश मेहता की एकल पीठ ने यह आदेश प्रस्तावित ग्राम पंचायतों को चुनौती देने वाली लगभग चार दर्जन से ज्यादा याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन में राज्य सरकार की ओर से 10 जनवरी 2025 को जारी दिशा-निर्देशों की गंभीर अवहेलना की गई है।
पारदर्शिता का अभाव
ग्रामों को जोड़ने और हटाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव रहा है और कई मामलों में तो नए पंचायत मुख्यालय ऐसे गांवों में स्थापित किए जा रहे हैं, जो दूरस्थ हैं या जिनकी आबादी अपेक्षाकृत कम हैं। वहीं ऐसे भी प्रस्ताव हैं, जहां पंचायत भवन के लिए उपयुक्त भूमि तक उपलब्ध नहीं है। विकसित और अधिक जनसंख्या वाले गांवों की अनदेखी कर ऐसे स्थानों को मुख्यालय बनाया जा रहा है, जहां आधारभूत सुविधाओं की संभावनाएं तक नहीं हैं।
यह वीडियो भी देखें इसके अलावा, जिन गांवों को प्रस्तावित पंचायतों में शामिल किया गया है, उनमें से कुछ अभी तक विधिवत राजस्व ग्राम घोषित भी नहीं हुए हैं या उनके विरुद्ध पूर्व में ही कोर्ट ने अधिसूचनाएं निरस्त कर दी हैं। यह भी आशंका जताई गई कि कई प्रस्ताव राजनीतिक उद्देश्य या पूर्वाग्रह से प्रेरित हैं और यदि कलक्टर इन पर असहमति जताएं तो भी राज्य सरकार उन्हें दरकिनार कर सकती है।
प्राप्त प्रस्तावों का परीक्षण
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि सभी प्रस्ताव अभी प्राथमिक स्तर पर हैं और इनकी जांच-पड़ताल के लिए सरकार ने तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति गठित कर रखी हैं, जो संबंधित जिला कलक्टरों से प्राप्त प्रस्तावों का परीक्षण कर रही है। यह भी स्पष्ट किया गया कि कलक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि वे ग्रामीणों की ओर से दी गई आपत्तियों पर समुचित विचार के बाद ही प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजें।
आपत्तियों पर निष्पक्ष रूप से विचार
कोर्ट ने कहा कि यह विश्वास है कि जिला कलक्टर सभी आपत्तियों पर निष्पक्ष रूप से विचार करेंगे। साथ ही यह निर्देश भी दिया कि सभी याचिकाओं में उठाई गई आपत्तियों की सूची महाधिवक्ता कार्यालय के माध्यम से समिति को सौंपी जाए और समिति 10 जनवरी, 2025 के दिशा-निर्देशों और कोर्ट की ओर से इंगित बिंदुओं के आधार पर सभी प्रस्तावों पर निर्णय करे।