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जोधपुर

Kargil Vijay Diwas : मां को चिट्ठी में दिखता है शहीद बेटा कालूराम, आज भी वो कर रही है उसका इंतजार

Kargil Vijay Diwas : पूरा देश आज कारगिल दिवस मना रहा है। शहीदों की कुर्बानी को याद कर गर्व महसूस कर रहा है। इन्हीं में एक कहानी है जोधपुर के शहीद कालूराम की है। मां आज भी कालूराम का इंतजार कर रही है। आखिर उसने घर लौटने का जो वादा किया था।

जोधपुरJul 26, 2025 / 11:52 am

Sanjay Kumar Srivastava

Jodhpur Kargil Vijay Diwas Today Mother sees her son in letter Martyr Kalu Ram Jakhar still waiting today

कारगिल दिवस की पूर्व संध्या पर कालूराम की मां अपने पुत्र के अंतिम पत्र को विस्मय भरी नजरों से देखती हुए। मां की आंखें अब भी पत्र में पुत्र को खोज रही है। फोटो पत्रिका

Kargil Vijay Diwas : पूरा देश आज कारगिल दिवस मना रहा है। देश शहीदों की कुर्बानी को याद कर गर्व महसूस कर रहा है। इन्हीं में एक कहानी है जोधपुर के शहीद कालूराम की है। मां आज भी कालूराम का इंतजार कर रही है। आखिर उसने घर लौटने का जो वादा किया था।

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4 जुलाई 1999, करगिल की ऊंची चोटियों पर गोलियों की आवाजें गूंज रही थीं। देश की रक्षा में सीना तानकर खड़े हमारे जवानों में एक नाम था कालूराम जाखड़ का, जो जोधपुर जिले के भोपालगढ़ तहसील के खेड़ी चारणान गांव के सपूत थे। उसी दिन उन्होंने घर वालों को चिट्ठी लिखी। मगर, यह चिट्ठी घर पहुंचने से पहले तिरंगे में लिपटी कालूराम की पार्थिव देह पहुंच गई।
परिवार के पास वह चिट्ठी आज भी सुरक्षित है। पुराने कागज पर लिखे वे शब्द आज भी ताजे हैं, जैसे कालूराम अभी भी कह रहे हों कि देश के लिए कुछ भी कुर्बान किया जा सकता है। यह सिर्फ एक पत्र नहीं, बल्कि उस जज्बे की गवाही है, जिसने करगिल युद्ध में भारत को विजय दिलाई।

उसी दिन लिखी, उसी दिन बलिदान

चिट्ठी की तारीख 4 जुलाई 1999 है और यही वह दिन था जब कालूराम ने करगिल के पास पिम्पल पॉइंट पर पाक घुसपैठियों से लोहा लेते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। उनका घर लौटने की इच्छी अधूरी रह गई।
Kargil Vijay Diwas
जोधपुर के शहीद कालूराम। फोटो पत्रिका

पत्र में पुत्र को खोजती मां की आंखें

करगिल से कालूराम की ओर से भेजा गया अंतिम पत्र अब भी उनके परिवार के पास याद के तौर पर संजोए रखा हुआ है। कारगिल दिवस की पूर्व संध्या पर कालूराम की मां अपने पुत्र के अंतिम पत्र को विस्मय भरी नजरों से देखती हुए। मां की आंखें अब भी पत्र में पुत्र को खोज रही है।

ऐसे जंग लड़ी कालूराम ने

करगिल क्षेत्र की पिम्पल टॉप पर पाक सेना और घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया था। इस पर भारतीय सेना ने 17 जाट बटालियन की टुकड़ी को भेजा। इसमें नायक कालूराम जाखड़ भी थे। कालूराम के पास मोर्टार का जिम्मा था। पिम्पल पहाड़ी पर दो बंकर नष्ट कर दिए और कई पाक सैनिकों को मार गिराया। केवल एक बंकर शेष था, जिस पर अंतिम हमला किया। सामने से पाक सैनिक भी गोले बरसा रहे थे।
इस बीच दुश्मन का एक गोला आया और कालूराम की जांघ पर लग गया, लेकिन हिम्मत नही हारी। बाकी बचा बंकर नष्ट होने के साथ ही भारतीय सेना ने पिम्पल पॉइंट फतह कर लिया, लेकिन इस दौरान कालूराम जाखड़ ने अपना सर्वोच्च बलिदान देश के लिए दे दिया।

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