शादी करने की मिली ‘सजा’, पंचों ने लगाया लाखों का जुर्माना, अब कलक्टर से मांगी इच्छा मृत्यु
पीड़ितों का कहना है कि समाजिक बहिष्कार और प्रशासनिक उपेक्षा ने उनके जीवन को बदतर बना दिया है। न्याय की कोई उम्मीद न होने के कारण वे इच्छा मृत्यु की अनुमति मांग रहे हैं।
कलक्टर कार्यालय के बाहर खड़े तीनों पीड़ित। फोटो- पत्रिका
राजस्थान के जोधपुर में समाज के बहिष्कार और लगातार प्रताड़ना से त्रस्त तीन लोगों ने कलक्टर गौरव अग्रवाल को ज्ञापन सौंपकर इच्छा मृत्यु की अनुमति देने की मांग की। ज्ञापन देने वालों में राजाराम पुत्र रतनलाल (निवासी लोलावास), दलाराम पुत्र हेमाराम (निवासी काकेलाव) और जेठाराम पुत्र कमल किशोर (निवासी खींवसर) शामिल हैं।
पीड़ितों का कहना है कि समाजिक बहिष्कार और प्रशासनिक उपेक्षा ने उनके जीवन को बदतर बना दिया है। न्याय की कोई उम्मीद न होने के कारण वे इच्छा मृत्यु की अनुमति मांग रहे हैं। कलक्टर ने ज्ञापन लेकर उसे पुलिस कमिश्नर को मार्क करके जल्द से जल्द समस्या के समाधान का आश्वासन दिया। ज्ञापन में बताया गया कि उन्होंने अपने परिवार की सहमति से युवतियों से हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह किया था। इस कारण समाज के पंचों ने उन्हें और उनके परिवारों को बहिष्कृत कर दिया।
पंचायत ने लगाया जुर्माना
पंचायतों के दबाव में उन पर भारी-भरकम जुर्माने की मांग भी थोप दी गई। राजाराम से 21 लाख रुपए दलाराम से 11 लाख रुपए और जेठाराम से 7 लाख रुपए की मांग की गई है। पीड़ितों ने बताया कि उन्होंने इस मामले में लूणी व डांगियावास थानों में मुकदमे दर्ज करवाए, लेकिन पुलिस की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसके चलते पंचों के हौसले बुलंद हैं और वे रिश्तेदारों को भी धमका रहे हैं कि यदि वे बहिष्कृत परिवारों से संबंध रखेंगे तो उन्हें भी समाज से बाहर कर दिया जाएगा।
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जिसने मदद की, वह भी बहिष्कृत
पीड़ितों की कलक्टर कार्यालय में कार्यरत अशोक पालीवाल ने उनकी मदद करने का साहस किया, जिसके चलते समाज के पंचों ने उसे और उसके परिवार को भी बहिष्कृत कर दिया।
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