सीकर जिले के फतेहपुर शेखावाटी शहर में एक फरवरी 2018 को पिता महेश व्यास व माता ज्योति व्यास की चौथी संतान के रूप में जन्मी कृष्णा व्यास ने पहली बार 9 मई 2024 को नानी बाई का मायरो कथा शुरू की। तब उसकी उम्र करीब 6 वर्ष और 3 महीने थी। फतेहपुर शेखावाटी के लक्ष्मीनाथजी मंदिर में आयोजित इस समारोह में पहली बार कथा सुनाई तो भक्तों के साथ संत भी मंत्रमुग्ध हो गए थे। इसके बाद रसूलपुर, सीकर, ठेलासर, गोल्याणा सहित अनेक जगह नानी बाई का मायरो कथा का वाचन कर चुकी हैं।
हर बार 3 दिन चलने वाली इस कथा में कृष्णा किशोरी व्यास प्रतिदिन 4 घंटे कथा वाचन करती हैं। इस दौरान वह बिना पुस्तक देखे कथा सुनाती है। कथा में आने वाली साड़ियां, कपड़े व चढ़ावा अपने पास नहीं रखती, जरूरतमंद लोगों में बांट देती हैं।
अब करेंगी भागवत कथा
कृष्णा किशोरी व्यास पिछले 6 महीने से वृंदावन में रैवासा धाम के पीठाधीश्वर राजेंद्रदास महाराज के सानिध्य में भागवत कथा की शिक्षा ले रही हैं। वह 4 वर्ष की आयु से ही भगवान कृष्ण को मामा व राधेरानी को मामी कहकर पुकारती हैं। उनकी पहली भागवत कथा 14 से 21 सितंबर 2025 तक फतेहपुर में होगी।
शंकराचार्य ने दो घंटे मंच पर बिठाया
महेश व्यास अपनी बेटी कृष्णा किशोरी व्यास व परिवार के साथ अक्टूबर 2024 में वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर गए हुए थे। इसी दौरान गो प्रतिष्ठा आंदोलन के समापन समारोह में आए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने नन्हीं बालिका को करीब 2 घंटे मंच पर अपने साथ बैठाया। साथ ही कहा कि यह बालिका दिव्य है। कृष्णा किशोरी व्यास रोजाना सुबह 1 घंटे पूजा के बाद दिनचर्या शुरू करती है। रोजाना रामायण, महाभारत, भगवान कृष्ण व महादेव से जुड़े प्रसंग के वीडियो देखती हैं और दिनभर भागवत कथा पाठ का अभ्यास करती हैं।
दादा लिख चुके गीत, दे चुके संगीत
कृष्णा किशोरी व्यास के दादा बनवारीलाल व्यास नानी बाई का मायरो कथा सुनाया करते थे। उन्होंने प्रसिद्ध राजस्थानी फिल्म नणद भोजाई के सभी 10 गीत लिखे व संगीत भी दिया था। उनका 2005 में निधन हो गया था, लेकिन उनकी सुनाई गई कथाओं की रेकॉर्डिंग घर में नियमित बजती रहती है। फरवरी 2024 में परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर खाना खा रहे थे। उसी दौरान बालिका कृष्णा ने दादाजी के गाए भजन गुनगुनाना शुरू कर दिए। जिस पर परिवार के सदस्यों ने हारमोनियम और तबला ढोलक मंगवाकर फिर से कृष्णा से भजन सुनाने को कहा तो सभी 20 भजन पूरे सुर व ताल में सुना दिए।