गौरतलब है कि
प्रदेश में सबसे अधिक अवैध शराब की बिक्री जांजगीर-चांपा जिले में होती है। महुआ शराब बनाने का कारोबार खासकर एक विशेष समाज के लोग करते हैं। हालांकि इन्हें सरकार की ओर से कुछ छूट भी मिलती है लेकिन वे छूट का गलत फायदा उठाकर अवैध शराब बनाने का धंधा करते हैं। हर थाना क्षेत्र में ऐसे समाज के लोगों को अवैध शराब बिक्री करते पकड़े जाते है।
भाग जाती हैं पुरुष, पकड़ी जाती हैं महिलाएं
अवैध शराब के कारोबार में अक्सर महिलाएं ही पकड़ी जाती है। एक ओर पुरूषों को छापेमारी की भनक लग जाती है इसके चलते वे भाग जाते हैं। वहीं उनके स्थान पर महिलाएं पकड़ी जातीं हैं। जिसमें अवैध शराब के 70 फीसदी केस में महिलाएं ही पकड़ी गईं हैं।
राजस्व पर पड़ता है बड़ा असर
अवैध शराब यानी महुआ शराब की अधिक बिक्री पर सरकार के राजस्व पर बड़ा असर पड़ता है। महुआ शराब के बिकने से न केवल सरकारी शराब की खपत कम होती है बल्कि मदिरा प्रेमियों के सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। हालांकि सरकार लगातार इस कारोबारी को रोकने लगातार मेहनत करती है। बावजूद तस्कर अपनी हरकतों से बाज नहीं आते।
एक साल में 4 हजार केस दर्ज
जिले में एक साल में चार हजार से अधिक केस दर्ज किया जाता है। जिसमें आबकारी ने २ हजार तो पुलिस ने दो हजार से अधिक प्रकरण बनाए हैं। यह आंकड़ा समाज के लिए भयावह है। इसे रोकने पुलिस व आबकारी टीम ने बड़ी पहल की है। लेकिन देखना होता है कि यह पहल काम आती है कि नहीं। जिले में अवैध शराब का कारोबार रोकने के लिए विशेष पहल करने की योजना है। हम ड्रोन के माध्यम से अवैध शराब के ठिकानों में छापेमारी करेंगे। ड्रोन की व्यवस्था के लिए कलेक्टर से चर्चा करेंगे। ताकि हमारी मुहिम कामयाब हो सके। – विजय कुमार पांडेय, एसपी