स्टेडियम आज भी अधूरा, क्षतिग्रस्त हो रहे निर्माण
करीब एक दशक पूर्व कस्बे में राजकीय महाविद्यालय के पास नगरपालिका की ओर से एक स्टेडियम का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। करीब छह-सात वर्षों तक चारदीवारी के अलावा यहां कोई निर्माण कार्य नहीं किया गया। करीब दो वर्ष पूर्व सरकार की ओर से कुछ राशि आवंटित करने पर यहां एक भवन, चारदीवारी की मरम्मत और वॉलीबॉल के लिए मैदान तैयार किया गया। साथ ही एक ट्रेक भी बनाया गया। इसके अलावा अन्य एक मैदान तैयार करने के लिए फाउंडेशन भरा गया, जो अभी तक अधूरा ही पड़ा है। स्टेडियम का कार्य आज तक पूरा नहीं हो पाया है। साथ ही भवन के अलावा वॉलीबॉल मैदान व ट्रेक क्षतिग्रस्त हो गए है। यहां झाडिय़ां लग गई है। इस अधूरे स्टेडियम में झाडिय़ों, कचरे व गंदगी की भरमार है। साथ ही चारदीवारी भी पूरी तरह से टूट चुकी है।
ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं कोई सुविधा
कस्बे के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसी तरह के हालात है। कहीं कोई स्टेडियम नहीं है और सुविधाओं की कमी है। हालांकि प्रत्येक विद्यालय के पास छोटा खेल मैदान है, लेकिन न तो पर्याप्त भूमि उपलब्ध है, न ही सुविधाएं। जिसके कारण गांवों में निवास कर रहे खिलाडिय़ों को अन्यत्र जाकर तैयारी करनी पड़ रही है। इन प्रतिभाओं ने फहराया परचम
- पोकरण क्षेत्र की कई प्रतिभाओं ने खेलों में परचम फहराकर ऊंचा मुकाम हासिल किया है।
- धोलिया निवासी श्रवणकुमार विश्नोई बॉस्केटबॉल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके है। वह भी एक बार नहीं, सात से आठ बार।
- श्रवणकुमार आधा दर्जन स्वर्ण पदक व रजत पदक जीत चुके है। साथ ही उन्हें खेल कोटे से रेलवे में नौकरी भी मिली।
- बारठ का गांव निवासी अशोक रतनू ने क्रिकेट में राष्ट्रीय स्तर पर भाग लिया। महाराष्ट्र में सीके नायडू क्रिकेट चैम्पियनशिप में प्रदेश की टीम का प्रतिनिधित्व किया।
- बारठ का गांव निवासी महेन्द्रकुमार रतनू ने क्रिकेट में रणजी ट्रॉफी में भाग लिया। साथ ही कई बार राज्य व राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया।
- राजमथाई निवासी मदनसिंह राठौड़ ने एशिया महाद्विप के देशों की जय गांव नेपाल में टेनिस बॉल क्रिकेट प्रतियोगिता में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया।
- क्षेत्र के कई विद्यालयों के छात्र छात्राएं एवं युवा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेलों में भाग ले चुके है।
फैक्ट फाइल
2 उपखंड है पोकरण क्षेत्र में - 3 पंचायत समिति है क्षेत्र में
- 1 दशक पूर्व स्टेडियम किया गया था स्थापित
खिलाडिय़ों को मिले संसाधन
गांवों में कई प्रतिभाएं है, जिन्हें न तो उचित मार्गदर्शन मिल रहा है, न ही उनके लिए कोई संसाधन। कस्बे के साथ गांवों में खेल मैदान विकसित करने के साथ पर्याप्त संसाधन मिल जाए तो ये प्रतिभाएं आगे आकर क्षेत्र का नाम रोशन कर सकती है।
- मदनसिंह राजमथाई, कोच क्रिकेट, पोकरण
नहीं मिल रहा प्रोत्साहन
ग्रामीण क्षेत्र में खेल मैदानों की कमी है। क्षेत्र में यदि सुविधाओं से युक्त एक बड़े खेल मैदान या इंडोर स्टेडियम की स्थापना की जाती है तो खिलाडिय़ों को सुविधा मिल सकती है।
- मेघसिंह राठौड़, निवासी जैमला