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जैसलमेर में 10वीं के आगे पढ़ाई का संकट…विद्यार्थी और अभिभावक असंमजस में

विकास के तमाम दावों के बावजूद विश्व विख्यात जैसलमेर शहर की शिक्षा व्यवस्था आज भी शोचनीय अवस्था में है।

जैसलमेरJun 02, 2025 / 08:35 pm

Deepak Vyas

विकास के तमाम दावों के बावजूद विश्व विख्यात जैसलमेर शहर की शिक्षा व्यवस्था आज भी शोचनीय अवस्था में है। अंग्रेजी माध्यम से 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले सैकड़ों विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के सामने एक बार फिर प्रश्र खड़ा हो गया है कि आगे की पढ़ाई कहां से की जाए ? दरअसल, जैसलमेर में अंग्रेजी माध्यम से उच्च माध्यमिक कक्षाओं यानी 11वीं व 12वीं की पढ़ाई करवाने वाले स्कूलों की संख्या अंगुलियों पर गिने जाने जितनी ही है। इनमें निजी और सरकारी दोनों तरह के विद्यालय हैं। जहां तक निजी स्कूलों का सवाल है, वे 3-4 हैं। वहां भी कला, वाणिज्य और विज्ञान तीनों संकायों में पढ़ाई की सुविधा नहीं है। अभिभावकों की पहली पसंद केन्द्रीय विद्यालय हैं, इनमें भी केवल जैसलमेर एयरफोर्स स्टेशन में स्थित विद्यालय में तीनों संकायों में पढ़ाने की सुविधा है, लेकिन वहां सभी नए विद्यार्थियों के लिए जगह नहीं है।

वंचितों की लम्बी सूची

केंद्रीय विद्यालयों में 11वीं कक्षा में प्रवेश के लिए भी गत दिनों आवेदन मांगे गए थे। उनमें से अधिकांश स्थान तो उसी विद्यालय से 10वीं पास करने वालों से भर गए। कुछेक को प्रवेश मिल गया लेकिन दर्जनों बालक-बालिकाएं वंचित रह गए। अब उनके अभिभावकों के सामने संकट की स्थिति है। जैसलमेर में केवी स्कूल एयरफोर्स में 11वीं के कला, विज्ञान और वाणिज्य तीनों संकायों की एक-एक ही कक्षा है। जिनमें 40 तक ही विद्यार्थियों को प्रवेश मिलता है। केवी डाबला में कला संकाय नहीं है। ऐसे में निजी स्कूलों के अलावा डाबला केवी के 10वीं उत्तीर्ण बच्चों के लिए भी संकट खड़ा हो गया, जो कला संकाय में आगे की पढ़ाई करना चाहते हैं।

शहर से बाहर जाने की विवशता

  • अंग्रेजी माध्यम से कक्षा 10 उत्तीर्ण करने वाले कई बच्चों को उनके अभिभावक न चाहते हुए भी अन्यत्र शहरों जैसे जोधपुर, बाड़मेर, बीकानेर, जयपुर आदि भेजने के लिए विवश हो रहे हैं।
  • सभी की आर्थिक स्थिति इसकी इजाजत नहीं देती तो कई बच्चों को उनकी इच्छा के विपरीत दूसरे संकाय में प्रवेश दिलाया जाता है। यह उनके भविष्य के लिए और भी खतरनाक स्थिति है।
  • 10वीं उत्तीर्ण करने वाले बच्चों की उम्र प्राय: 15-16 साल तक ही होती है। इतनी छोटी उम्र के बच्चों को बाहर पढऩे भेजने के सवाल पर ज्यादातर अभिभावक परेशान रहते हैं लेकिन अपनी संतानों के भविष्य और सुचारू पढ़ाई के लिए उन्हें मन मार कर निर्णय लेना होता है।

सुविधाओं का नहीं हो रहा विस्तार

जैसलमेर शहर के एयरफोर्स और बीएसएफ डाबला में केंद्रीय विद्यालय हैं। वहां प्रवेश में सबसे पहले सैन्य बलों में कार्यरत लोगों के बच्चों को वरीयता दी जाती है। उसके बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों की संतानों को प्रवेश देने का नियम है। बाद में अन्य वरीयताएं भी होती हैं। ऐसे में सामान्य जन जो किसी सरकारी-अद्र्धसरकारी निकाय में कार्यरत नहीं होते हैं, उनके बालक-बालिकाओं को केंद्र सरकार के इन शिक्षण संस्थानों में प्रवेश लेना बहुत मुश्किल होता है। जैसलमेर में नए केंद्रीय विद्यालय की स्थापना नहीं हो पा रही है और न ही पहले से संचालित केवी में 11वीं कक्षा में संकाय बढ़ाए जा रहे हैं। ऐसे ही निजी क्षेत्र के अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूल भी अपने यहां सुविधाओं का विस्तार नहीं कर रहे हैं।

पेश आ रही दिक्कत

मेरे पुत्र ने हाल में अंग्रेजी माध्यम वाले निजी स्कूल से 10वीं कक्षा उत्तीर्ण की है। उसका स्कूल 10वीं तक ही है और केवी में 11वीं में प्रवेश नहीं मिल रहा है। बच्चे के भविष्य को लेकर चिंतित बना हुआ हूं।
  • आलोक कुमार, अभिभावक
सीबीएसई बोर्ड से मेरी पुत्री ने 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। अब 11वीं में उसका प्रवेश केंद्रीय विद्यालय में नहीं हुआ। बच्ची को बाहर भेजने में कई तरह की परेशानियां हैं। समझ नहीं आता कि, क्या किया जाए?
  • देवीसिंह, अभिभावक

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