scriptTiger Reserve: संरक्षण या साजिश… जिंदा चारे ने बाघ को बनाया आदमखोर! लाइव बैट से शिकारी प्रवृत्ति हो रही खत्म | Tigerreserve: Conservation or conspiracy… live bait has turned tigers into man-eaters! Natural hunting instincts are vanishing | Patrika News
जयपुर

Tiger Reserve: संरक्षण या साजिश… जिंदा चारे ने बाघ को बनाया आदमखोर! लाइव बैट से शिकारी प्रवृत्ति हो रही खत्म

मानव और वन्यजीव के बीच बढ़ते संघर्ष की एक बड़ी वजह ‘लाइव बैट’ (जिंदा चारा) की व्यवस्था है, जो जानवरों की स्वाभाविक शिकारी प्रवृत्ति को खत्म कर रही है।

जयपुरMay 19, 2025 / 08:33 am

anand yadav

रणथम्भौर टाइगर रिजर्व- पत्रिका फोटो

रणथम्भौर टाइगर रिजर्व- पत्रिका फोटो

राजस्थान में सवाईमाधोपुर स्थित रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में बाघिन कनकटी के हालिया हमले में रेंजर देवेंद्र चौधरी और एक बच्चे की मौत ने वन विभाग की नींद उड़ा दी है। इस घटना के बाद वन्यजीव संरक्षण से जुड़े विशेषज्ञों ने विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि मानव और वन्यजीव के बीच बढ़ते संघर्ष की एक बड़ी वजह ‘लाइव बैट’ (जिंदा चारा) की व्यवस्था है, जो जानवरों की स्वाभाविक शिकारी प्रवृत्ति को खत्म कर रही है।
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व- पत्रिका फोटो

इंसानों से डर क्यों खत्म हो रहा है?

विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह का भावनात्मक हस्तक्षेप संरक्षण नहीं, हस्तक्षेप है। इससे बाघ अपनी प्राकृतिक शिकारी आदतें खो देते हैं और जंगल का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ जाता है। जब जानवर इंसानों से डरना छोड़ देते हैं, तो संघर्ष की आशंका बढ़ जाती है।
वन विभाग का कहना है कि जब कोई बाघ बार-बार मानव बस्तियों में घुसे, हमला करे या बीमार हो, तो उसे पकड़ना ही एकमात्र रास्ता रह जाता है। लेकिन विशेषज्ञ इस सोच से इत्तेफाक नहीं रखते। उनके अनुसार, समस्या की जड़ को समझे बिना केवल बाघों को हटाना समाधान नहीं है। यह भी सामने आया है कि कुछ अधिकारी या कर्मचारी व्यक्तिगत रूप से किसी बाघ या बाघिन से जुड़ाव महसूस करते हैं और उन्हें बचाने के प्रयास में व्यवस्था से समझौता कर बैठते हैं।
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व- पत्रिका फोटो

जिंदा चारे को लेकर चेताया

वन विभाग के सूत्रों के अनुसार, कनकटी और उसके दो भाई उस समय छोटे थे जब उनकी मां बाघिन एरोहेड बीमार हो गई थी और शिकार नहीं कर पा रही थी। विभाग ने तब उनके क्षेत्र में जिंदा बछड़े बांधना शुरू कर दिए ताकि वे भूखे न रहें। यह सिलसिला इतना लंबा चला कि शावकों को इंसानी मदद से शिकार मिलने की आदत लग गई। नतीजन, कनकटी और उसके भाई अक्सर चारे के बाड़ों, वाहनों और यहां तक कि गाड़ियों का पीछा करते भी देखे गए। पहले भी इन्हें इंसानी बस्तियों के आसपास मंडराते हुए देखा गया था। उस समय विशेषज्ञों ने चेताया था, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया।

लाइव बैट क्या है?

लाइव बैट का अर्थ है जानवरों को शिकार के लिए जीवित मवेशी उपलब्ध कराना। यह तरीका ब्रिटिश शिकारी इस्तेमाल करते थे, जिससे बाघ को सामने लाकर मारा जा सके। आजादी के बाद कुछ रिजर्व में पर्यटकों को बाघ दिखाने के लिए यह तरीका फिर अपनाया गया। लेकिन 1982 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार इंसानों से मिलने वाला भोजन बाघों में मानव का भय खत्म कर रहा है। अगर बाघों को उनके प्राकृतिक परिवेश में स्वतंत्र रूप से जीने नहीं दिया गया, तो भविष्य में ऐसे संघर्ष और भी गंभीर हो सकते हैं।

Hindi News / Jaipur / Tiger Reserve: संरक्षण या साजिश… जिंदा चारे ने बाघ को बनाया आदमखोर! लाइव बैट से शिकारी प्रवृत्ति हो रही खत्म

ट्रेंडिंग वीडियो