खासकर ग्रामीण इलाकों के स्कूलों पर इसका ज्यादा असर होगा। वहां से कई शिक्षक बरसों से शहर में पदस्थापित होने के लिए प्रयासरत थे। हालांकि अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पहले से मौजूद कुछ शिक्षकों के अधिशेष होने पर उन्हें अन्य हिंदी माध्यम स्कूलों में नियुक्त किया जाएगा, लेकिन इनकी संख्या कम है।
शिक्षा विभाग ने प्रदेश की 3 हजार 737 महात्मा गांधी स्कूलों में 11 हजार 576 शिक्षकों की नियुक्ति की है। इस नियुक्ति प्रक्रिया को शिक्षाविद् महात्मा गांधी स्कूलों में गुणात्मक सुधार की बजाय शिक्षकों के तबादलों के रूप में ही ज्यादा देख रहे हैं, क्योंकि अधिशेष होने पर यहां से जाने वाले और इनमें आए दोनों ही शिक्षक हिंदी माध्यम स्कूलों के ही है। दोनों के बीच एक विभागीय परीक्षा पास करने का ही अंतर है।
ऐसे में एक्सपर्ट्स इसे तबादलों की गली ज्यादा मान रहे हैं तो शिक्षक संगठन भी महात्मा गांधी स्कूलों के गुणात्मक सुधार के लिए अलग कैडर की मांग करने लगे हैं। दौसा जिले में 387 शिक्षकों का अंग्रेजी माध्यम स्कूलों पदस्थापन किया गया है। अधिकतर शिक्षकों ने गुरुवार तक कार्यभार संभाल लिया है। गौरतलब है कि दौसा के स्कूलों में पहले से ही शिक्षकों का टोटा है। जिलेभर के सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक और अशैक्षणिक के 2 हजार से अधिक पद रिक्त चल रहे हैं। पदस्थापन के बाद इसमें और इजाफा हो जाएगा।
अलग कैडर की उठ रही मांग
महात्मा गांधी स्कूलों में स्तर सुधार के लिए शिक्षकों के अलग कैडर की मांग भी उठने लगी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का अलग कैडर घोषित कर उनके लिए अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की ही भर्ती अलग से की जानी चाहिए। तभी गुणवत्ता में सुधार के साथ महात्मा गांधी स्कूलों की सार्थकता रहेगी।
पुराने शिक्षकों की स्थिति पर असमंजस
महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों, मॉडल स्कूलों और अन्य अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पहले से कार्यरत शिक्षकों को कहां लगाएंगे, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। अगर पुराने शिक्षकों को नहीं हटाया जाता है तो अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में एक ही विषय के दो-दो शिक्षक हो जाएंगे।
इनका कहना है
महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में हिंदी माध्यम स्कूलों के शिक्षकों की परीक्षा के जरिए नियुक्ति से भी गुणात्मक सुधार की ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती है। बेहतर यही होगा कि इन स्कूलों की स्थापना के समय घोषित अलग कैडर के स्टाफ की घोषणा को पूरा किया जाए। तभी इन स्कूलों की सार्थकता रहेगी और हिंदी माध्यम स्कूलों का संचालन भी सही होगा। अन्यथा तो ये स्कूलें तबादलों की गली के रूप में ही काम आती रहेगी। अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की नियुक्ति होने पर ही वे निजी स्कूलों से मुकाबला करने लायक हो सकेंगी।
-ओमप्रकाश शर्मा, सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक, दौसा महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्तियों के साथ ही इनमें पढ़ाई का माहौल बेहतर होगा। विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सकेगी। अधिशेष शिक्षकों व नई भर्ती से हिंदी माध्यम स्कूलों में भी कमी दूर होगी।
-अशोक शर्मा, डीईओ (माध्यमिक) दौसा