गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किए गए अपने पोस्ट में लिखा कि छात्र राजनीति युवाओं को लोकतंत्र की वास्तविकता से जोड़ती है। इससे उनकी सोच में परिपक्वता आती है और उनके व्यक्तित्व का समग्र विकास होता है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि लोकतंत्र में युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की थी।
गहलोत ने अपने छात्र जीवन का हवाला देते हुए कहा कि वे स्वयं छात्र राजनीति से निकले हैं और देश-प्रदेश के अनेक दिग्गज नेताओं ने भी अपना राजनीतिक सफर छात्रसंघ से ही शुरू किया था। उन्होंने वर्तमान भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वह प्रदेश के युवाओं को लंबे समय से छात्रसंघ चुनावों से वंचित कर रही है, जबकि युवाओं में चुनाव कराने की लगातार मांग बनी हुई है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारे कार्यकाल में भी एक बार विधानसभा चुनाव के चलते छात्रसंघ चुनाव टालने पड़े थे, लेकिन हमने कभी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को रोकने की नीयत नहीं रखी। मैं सरकार से पुनः अपील करता हूं कि वह अविलंब छात्रसंघ चुनाव कराने का सकारात्मक निर्णय ले।”
गहलोत का यह बयान ऐसे समय आया है जब प्रदेश में छात्रसंघ चुनावों को लेकर लंबे समय से असमंजस की स्थिति बनी हुई है। छात्र संगठन भी समय-समय पर इस मुद्दे को लेकर प्रदर्शन करते रहे हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार इस मांग पर क्या निर्णय लेती है।