बता दें, इस मामले की अगली सुनवाई अब मंगलवार को होगी, जिसमें सरकार और अन्य पक्षों को अपना रुख और स्पष्ट करने का निर्देश दिया गया है।
हाईकोर्ट ने क्यों जताई नाराजगी?
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने विशेष रूप से पूछा कि जब विशेष कार्य बल (SOG), पुलिस मुख्यालय, महाधिवक्ता और मंत्रिमंडलीय उप-समिति ने भर्ती में व्यापक धांधली की बात स्वीकारी थी तो मुख्यमंत्री ने पुरानी रिपोर्ट को क्यों दबा लिया और सरकार ने अपना रुख क्यों बदला। जस्टिस जैन ने स्पष्ट रूप से पूछा कि जब पहले सरकार की छह संस्थाओं ने अपनी राय दे दी थी, तो अब ऐसा क्या बदल गया कि सरकार ने अपना रुख बदल लिया? यह सवाल सरकार की मंशा और पारदर्शिता पर संदेह पैदा करता है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस भर्ती की पवित्रता का क्या होगा? कोर्ट ने कहा कि हमारे हाथ बंधे हुए नहीं हैं, हम सभी पक्षों को सुनकर फैसला लेंगे।
जस्टिस समीर जैन ने पूछा कि जब विशेष कार्य बल (SOG) की जांच, पुलिस मुख्यालय, महाधिवक्ता और मंत्रिमंडलीय उप-समिति ने भर्ती में बड़े पैमाने पर धांधली की बात स्वीकारी है तो सरकार भर्ती की पवित्रता को कैसे सही ठहरा रही है। सरकार का यह तर्क कि भर्ती रद्द करने से ईमानदार उम्मीदवारों को नुकसान होगा, कोर्ट को संतुष्ट नहीं कर सका।
राज्य सरकार के महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने कोर्ट में दलील दी कि भर्ती को रद्द करना उचित नहीं है, क्योंकि दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। हालांकि, कोर्ट ने सरकार के इस जवाब को अपर्याप्त माना।
ये था SI भर्ती का मामला
बताते चलें कि सितंबर 2021 में आयोजित सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में बड़े पैमाने पर पेपर लीक की घटना सामने आई थी। इस परीक्षा में 7.97 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने 11 जिलों के 802 केंद्रों पर हिस्सा लिया था। SOG की जांच में खुलासा हुआ कि दो अलग-अलग गिरोहों ने परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र लीक किए और इसे सोशल मीडिया के जरिए प्रसारित किया गया। अब तक SOG ने इस मामले में 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें 50 से ज्यादा प्रशिक्षु सब इंस्पेक्टर और 30 से अधिक पेपर लीक गिरोह से जुड़े लोग शामिल हैं। इनमें पूर्व राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) सदस्य रामूराम रायका के बेटे और बेटी भी शामिल हैं।
भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने की मांग
हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की है, जबकि प्रशिक्षु सब इंस्पेक्टरों का तर्क है कि वे इस घोटाले में शामिल नहीं थे और भर्ती रद्द करना उनके साथ अन्याय होगा। याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि SOG, पुलिस मुख्यालय, महाधिवक्ता और मंत्रिमंडलीय उप-समिति ने भी भर्ती में व्यापक धांधली की बात स्वीकारी है। इसके बावजूद, राज्य सरकार ने कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि भर्ती रद्द करना उचित नहीं होगा, क्योंकि दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है।