Bhagwan Singh Rolsabsar Passes Away: श्री क्षत्रिय युवक संघ के संरक्षक भगवान सिंह रोलसाहबसर का गुरुवार देर रात यहां सवाई मानसिंह अस्पताल में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को होगा। रोलसाहबसर की पार्थिव देह अंतिम दर्शन के लिए शुक्रवार को जयपुर स्थित संघशक्ति भवन में रखी जाएगी। सूत्रों के अनुसार वे 25 मई से अस्पताल में भर्ती थे और मल्टीपल डिजीज के कारण उनका निधन हो गया।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दुख जताते हुए एक्स पर लिखा कि ‘श्री क्षत्रिय युवक संघ के संरक्षक भगवान सिंह रोलसाहबसर के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिजनों के साथ है। प्रभु दिवंगत आत्मा को अपने परम धाम में स्थान तथा शोकाकुल परिजनों को यह अपार दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।’
क्षत्रिय युवक संघ के संरक्षक श्री भगवान सिंह जी रोलसाहबसर के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ।
मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिजनों के साथ है। प्रभु दिवंगत आत्मा को अपने परम धाम में स्थान तथा शोकाकुल परिजनों को यह अपार दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
वहीं, पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने सामाजिक जीवन में उनके योगदान को याद करते हुए लिखा कि ‘श्री क्षत्रिय युवक संघ के संरक्षक भगवान सिंह जी रोलसाबसर के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। वे एक सादा जीवन जीने वाले, अनुशासित और समाज को दिशा देने वाले व्यक्तित्व थे। राजस्थान के सामाजिक जीवन में उनका योगदान याद किया जाएगा। मैं व्यक्तिगत रूप से उनके स्नेह और सादगी से प्रभावित रहा हूं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दें और परिजनों व अनुयायियों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
श्री क्षत्रिय युवक संघ के संरक्षक भगवान सिंह जी रोलसाबसर के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है।
वे एक सादा जीवन जीने वाले, अनुशासित और समाज को दिशा देने वाले व्यक्तित्व थे। राजस्थान के सामाजिक जीवन में उनका योगदान याद किया जाएगा।
बता दें कि संघ के चतुर्थ संघ प्रमुख माननीय भगवानसिंह रोलसाहबसर का जन्म 2 फरवरी 1944 को सीकर जिले की फतेहपुर तहसील के रोलसाहबसर गांव में हुआ। 1963 में रतनगढ़ में 7 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के बाद क्षत्रिय युवक संघ के साथ जुड़कर काम करना शुरू किया और संघ के एक समर्पित स्वयंसेवक बन गए। भगवान सिंह रोलसाहबसर ने अक्टूबर 1989 में क्षत्रिय युवक संघ के प्रमुख का दायित्व संभाला था। वह संघ के करीब 500 शिविरों में शामिल हो चुके थे और संगठन के प्रति अपनी समर्पण भावना के लिए जाने जाते थे।