वित्त विभाग और राजस्थान स्टेट हेल्थ एश्योरेंस एजेंसी ने योजना से जुड़े निजी अस्पतालों और फार्मेसी संचालकों के साथ वेबिनार के माध्यम से विस्तृत चर्चा की। इस दौरान स्पष्ट किया गया कि यदि कोई संस्थान गलत दावे करता है तो उसके खिलाफ भारी जुर्माने, योजना से निष्कासन और रजिस्ट्रेशन रद्द करने जैसी कार्रवाई की जाएगी। हाल ही में पकड़े गए मामलों में 10 करोड़ रुपए से अधिक की राशि वसूली गई है और दोषी अस्पतालों एवं फार्मेसियों को निलंबित कर दिया गया है।भ्रम फैलाने वाले संस्थानों पर होगी कार्रवाई
बैठक में यह भी बताया गया कि आरजीएचएस योजना का उद्देश्य सरकारी कार्मिकों और पेंशनर्स को कैशलेस उपचार उपलब्ध कराना है। इसके साथ ही जो संस्थान भ्रम फैलाने या अनुचित लाभ लेने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें भी योजना से अलग किया जाएगा।
वेबिनार में प्रदेशभर से 700 से अधिक अस्पतालों और 1000 से अधिक फार्मेसी संचालकों ने भाग लिया। अधिकारियों ने आईपीडी, ओपीडी और दवा वितरण संबंधी दिशा-निर्देशों को स्पष्ट करते हुए सभी पंजीकृत संस्थानों से अपील की कि वे योजना की पवित्रता बनाए रखें और नियमों का पालन करें।