राजस्थान में पंचायत चुनावों में अभी और हो सकती है देरी, जानें अब क्या फंसा है पेंच
Rajasthan News : राजस्थान में पंचायतों के पुनर्गठन व नवसृजन के मामले में नया अपडेट। वैसे तो जिलों से पुनर्गठन के प्रस्ताव पंचायतराज विभाग पहुंच गए हैं। बावजूद इसके पंचायत चुनावों में अभी और देरी हो सकती है। जानें अब क्या पेंच फंसा है?
Rajasthan News : पंचायतीराज संस्थाओं के पुनर्गठन और नवसृजन की प्रक्रिया निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है, लेकिन अब यह मामला कोर्ट की निगरानी में चला गया है। राज्य के सभी जिला कलक्टरों ने आपत्तियों की विस्तृत सुनवाई के बाद अंतिम रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी थी और 4 जून को प्रस्तावों का अंतिम प्रकाशन होना था, लेकिन हाईकोर्ट के निर्देशों के चलते अब यह प्रक्रिया करीब डेढ़ महीने आगे खिसक सकती है।
हाईकोर्ट ने 10 जनवरी 2025 को जारी दिशा-निर्देशों के उल्लंघन की गंभीर चिंता जताई है। आदेश में कहा गया है कि कई प्रस्तावों में दूरदराज़ गांवों को मुख्यालय बना दिया गया। अब पंचायतीराज विभाग को 7 जुलाई को अगली सुनवाई से पहले उच्चस्तरीय समिति से न्यायिक प्रकरण एवं प्रस्तावों की निष्पक्ष समीक्षा करानी होगी। इसके बाद ही अधिसूचना जारी होगी, जिससे स्पष्ट है कि पंचायतों के पुनर्गठन में अब और समय लगेगा।
पड़ सकता है असर
प्रशासनिक प्रक्रिया में देरी का असर चुनावों पर पड़ रहा है। जब तक ग्राम पंचायत वार्ड नहीं बनते, तब तक पंचायत समिति और जिला परिषदों के वार्डों का निर्धारण संभव नहीं है। सरकार का लक्ष्य 30 जून तक पुनर्गठन का कार्य पूरा करने का था। सरकार ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ की दिशा में भी काम कर रही है। 9 जिले खत्म कर 41 जिलों की नई संरचना के बाद 8 नए जिलों में पहली बार जिला परिषदें भी बननी हैं। ऐसे में पंचायत चुनावों को 6-8 महीने तक टालने का कानूनी आधार भी मिल गया है।
राजनीतिक के चलते राज्य भर में कई पंचायतों में पुनर्गठन के प्रस्तावों पर बड़ी संख्या में आपत्तियां सामने आईं। हालांकि जिला कलक्टरों ने उन आपत्तियों का निस्तारण कर दिया। इसके बावजूद कई क्षेत्रों में प्रस्तावों को लेकर असंतोष दिखाई दे रहा है। कलक्टरों की अन्तिम रिपोर्ट को लेकर कई लोग जयपुर पहुंचकर पंचायतराज विभाग में आपत्तियां दर्ज करवा रहे हैं।