बता दें कि चिकित्सा शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में एसएमएस मेडिकल कॉलेज सहित राज्य के 10 सरकारी मेडिकल कॉलेजों और उनसे संबद्ध अस्पतालों को पत्र भेजा है। इसमें संस्थानों से सात दिन के भीतर यह जानकारी मांगी गई है कि वर्तमान में उनके यहां हीमोडायलिसिस यूनिट की स्थिति क्या है, कितनी मशीनें उपलब्ध हैं और नए डे केयर सेंटर स्थापित करने के लिए संभावित स्थान कौन-कौन से हो सकते हैं।
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बजट में हुई थी घोषणा
सरकार का यह निर्णय बजट 2025-26 में की गई घोषणा के तहत लिया गया है। विभाग के अधिकारियों के अनुसार फिलहाल सरकारी स्तर पर डायलिसिस की सुविधा जयपुर, जोधपुर और अजमेर जैसे चुनिंदा शहरों तक सीमित है। लेकिन नए सेंटर खुलने से यह सुविधा छोटे जिलों तक पहुंचेगी और हजारों मरीजों को समय पर इलाज मिल सकेगा। इससे न केवल मरीजों का समय और पैसा बचेगा, बल्कि बड़े सरकारी अस्पतालों में बोझ भी कम होगा।
क्या है डायलिसिस डे केयर सेंटर
डायलिसिस डे केयर सेंटर, किडनी फेलियर (गुर्दे की विफलता) वाले मरीजों के लिए एक ऐसा स्थान है, जहां उन्हें हेमोडायलिसिस या पेरिटोनियल डायलिसिस जैसी डायलिसिस सेवाएं प्रदान की जाती हैं। इन केंद्रों में रोगियों को एक सुरक्षित और आरामदायक वातावरण में प्रशिक्षित स्वास्थ्य पेशेवरों की देखरेख में डायलिसिस उपचार मिलता है।
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गुजरात में कैसे करता है काम
गुजरात में डायलिसिस डे केयर सेंटर, रोगियों को उनके गुर्दे की बीमारी के इलाज के लिए एक विशेष सुविधा प्रदान करते हैं। ये केंद्र मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता के बिना डायलिसिस उपचार प्रदान करते हैं। मरीज आमतौर पर कुछ घंटों के लिए आते हैं, डायलिसिस करवाते हैं और फिर घर लौट जाते हैं।