बिट्स मेसरा, रांची के वैज्ञानिकों का दावा
बिट्स मेसरा, रांची के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि अनूपगढ़ से जैसलमेर तक सरस्वती नदी के मार्ग और उसके पेलियो चैनल (निष्क्रिय नदी का बहाव मार्ग) को अब तक की सबसे उन्नत तकनीक से ढूंढ़ा है। इसके लिए 3.70 लाख वर्ग किमी. क्षेत्र का अध्ययन किया गया।राजस्थान के 16 जिले व पाकिस्तान को बनाया अध्ययन क्षेत्र
बिट्स के रिमोट सेंसिंग विभागाध्यक्ष डॉ. वीएस राठौड़ और उनकी टीम ने जैसलमेर, बाड़मेर, जालौर, सिरोही, पाली, जोधपुर, बीकानेर, नागौर, अजमेर, टोंक, जयपुर, सीकर, झुंझुनू, चूरू, गंगानगर व हनुमानगढ़ और पाकिस्तान को अध्ययन क्षेत्र बनाया।राजस्थान में विलुप्त सरस्वती नदी को लेकर अच्छी खबर, तरंग से खोजेंगे संभावित रूट
उपग्रहों से 614 तस्वीरें और डाटा से विश्लेषण
डॉ. वीएस राठौड़ ने बताया कि सरस्वती का क्षेत्र बड़ी मात्रा में रेत से ढका है। उसे पहचानने के लिए तीन उपग्रहों से मिली उच्च स्तरीय तस्वीरों और सिंथेटिक अपर्चर रेडार सार के डाटा की मदद ली। यह रेडार जमीन में कई मीटर भीतर तक विश्लेषण करती है। यूरोपीय रेडार उपग्रह सेंटिनल 1ए सहित अन्य उपग्रहों से मिली उच्च स्तरीय तस्वीरों, मल्टी स्पेक्ट्रल डाटा और डिजिटल एलिवेशन मॉडल का भी उपयोग किया। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी व अमरीकी जियोलॉजिकल सर्वे के उपग्रहों द्वारा गई 614 तस्वीरों का विश्लेषण किया गया। इनमें सरस्वती और सहायक धाराओं के बहाव मार्ग साफ नजर आए।Monsoon Update : राजस्थान में मानसून को लेकर जल्द मिलेगी खुशखबरी, बस करें थोड़ा इंतजार
यहां मिला सरस्वती का बहाव मार्ग
1- पहली मुख्यधारा अनूपगढ़ के निकट घग्घर नदी से उत्पन्न, बेरियावाली, बहला, तनोट व जैसलमेर होते हुए अरब सागर में गिरती थी।2- दूसरी मुख्यधारा जैसलमेर जिले में बहला व सत्तो के पास पहली धारा से मिलती थी।
3- जोधपुर, जैसलमेर और बाड़मेर में सरस्वती से कई सहायक धाराएं भी बनती नजर आईं, जो मोहनगढ़ में सरस्वती में मिलती थीं। मोहनगढ़ में पिछले साल खुदाई के दौरान बड़ी मात्रा में पानी फूट पड़ा था।
4- कुछ धाराएं बीकानेर, हनुमानगढ, चूरू व झुंझुनू में थी। यह सूरतगढ़ के पास सरस्वती में मिलती थी।