कृषि यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में क्या लिखा
रामपाल जाट ने कहा, लुधियाना कृषि यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में साफ लिखा गया कि नैनो यूरिया के उपयोग से उत्पादन कम हो रहा है। इसी कारण किसान नैनो यूरिया नहीं खरीदना चाहते। लेकिन समितियां और डीलर दबाव डाल रहे हैं। सरकार ने 21 जुलाई 2025 को इस जबरदस्ती को रोकने के लिए परिपत्र जारी किया था, फिर भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
नैनो यूरिया की बोतलों का ढेर लगा
उन्होंने आगे कहा कि किसानों के घरों में नैनो यूरिया की बोतलों का ढेर लग चुका है, जिनका कोई उपयोग नहीं हो रहा। खेती पहले ही घाटे का सौदा बन चुकी है और अब नैनो यूरिया पर अनचाहा खर्च किसानों की आर्थिक स्थिति को और बिगाड़ रहा है। किसानों ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप कर इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने की मांग की है।