यह सनसनीखेज वारदात देवगढ़ थाना क्षेत्र की मंडावर पंचायत में 1 जून को सामने आई, जब पुलिस को अधजला शव मिला। पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक सबूत शायद सच्चाई को और स्पष्ट करें, लेकिन यह घटना समाज के सामने एक दर्पण है, जो हमें अपने बच्चों के मन को समझने और उन्हें सही दिशा देने की जरूरत बता रही है।
छोटा सा मामला और बड़ा अंजाम
पुलिस जांच में सामने आया कि सोहनदेवी और दोनों बहनों के बीच खाट पर बैठने को लेकर कहासुनी हुई थी। यह छोटा-सा विवाद इतना बढ़ गया कि गुस्से में आकर बहनों ने महिला को धक्का दे दिया। सिर के बल गिरने से सोहनदेवी की मौके पर ही मौत हो गई। अपराध को छिपाने की कोशिश में दोनों ने शव को कांटों और घास के ढेर में जलाने की कोशिश की। जब शव पूरी तरह नहीं जला तो उसे जमीन में दबा दिया। पुलिस को शव से गायब जेवरात लूट की आशंका की ओर भी इशारा कर रहे हैं।
आज के किशोर-किशोरियों को क्या हो रहा?
यह घटना केवल एक हत्या की कहानी नहीं, बल्कि समाज के लिए एक गंभीर सवाल है। आजकल किशोर और किशोरियों के मन में क्या चल रहा है? क्यों वे बड़े-बुजुर्गों के प्रति सम्मान और अपना धैर्य खोते जा रहे हैं। एक छोटे-से विवाद को हिंसा में बदलने की मानसिकता कहां से आ रही है? दोनों नाबालिग बहनों ने यह भी नहीं सोचा कि उनका यह कदम न केवल एक जिंदगी छीन लेगा, बल्कि भविष्य भी अंधकार में डुबो देगा।
क्या खो रहा है समाज का नैतिक आधार?
यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर हम अपने बच्चों को क्या मूल्य दे रहे हैं? किशोरावस्था में आवेग और गुस्से को नियंत्रित करने की शिक्षा की कमी साफ झलकती है। दोनों बहनों को किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया गया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या सजा इस तरह की मानसिकता को बदल पाएगी?