यह होगा बदलाव
मंदिर में प्रवेश-निकास की दिशा को एकतरफा बनाया जा रहा है। नंगे पैर आने वाले श्रद्धालु मंदिर छावन से परिक्रमा के बाद मुख्य निकास से बाहर निकलेंगे। जूते-चप्पल पहनकर आने वाले श्रद्धालु बाहरी रैंप से दर्शन कर उसी मार्ग से लौटेंगे। भीड़ के नियंत्रण के लिए स्वयंसेवक, गार्ड तथा पुलिसकर्मी सेवाएं देंगे।संकीर्तन सत्संग भवन में
रविवार और एकादशी को भजन मंडलियां सत्संग भवन में संकीर्तन कर सकेंगी। वहीं, मंदिर प्रशासन श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए छायादार बैरिकेडिंग बनवाने जा रहा है। इसमें दो कतारों में दर्शनार्थियों के चलने की व्यवस्था होगी। पंखे, ध्वनि विस्तार यंत्र एवं एलईडी स्क्रीन भी लगाने की योजना है।दर्शन व्यवस्था में बदलाव समय की मांग
ब्रह्मपुरी निवासी 69 वर्षीय रामावतार शर्मा और छोटी चौपड़ निवासी 71 वर्षीय पार्वती देवी सहित अन्य बुजुर्गों ने बताया कि मंदिर की शुरुआत में जयपुर की जनसंया सीमित थी। साथ ही मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की संया भी अपेक्षाकृत कम थी। उस समय मंदिर छावन का आकार पर्याप्त माना जाता था। किंतु आज की स्थिति एकदम अलग है। जयपुर आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक भी गोविंद देवजी के दर्शन करने को प्राथमिकता देते हैं।दक्षिणी भारत और उत्तरी भारत की शैली में बना है ये शिव मंदिर, सिर्फ जलाभिषेक करने से पूरी होती है मन्नत
आम के बंगले में विराजेंगे ठाकुरजी
गोविंददेव जी मंदिर में 29 जून की दोपहर 12 बजे से आम्र कानन महोत्सव कार्यक्रम आयोजित होगा। महंत अंजन गोस्वामी के सान्निध्य में होने वाले कार्यक्रम में गौड़ीय सप्रदाय के आचार्य पुंडरीक गोस्वामी सहित अन्य संत संकीर्तन, प्रवचनों के जरिए धर्म संस्कृति से जुड़ी ज्ञानवर्धक जानकारियां देंगे। साथ ही 500 किलो आम से बंगला भी तैयार किया जाएगा।