Phed News: जांच की कछुआ चाल, इंजीनियरों की लॉबी जांच पर हावी, अब तक 16 आरोप पत्र ही पहुंचे
राजस्थान में जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार उजागर होने पर जलदाय विभाग के 150 से ज्यादा इंजीनियरों की भूमिका संदिग्ध बताई गई है। लेकिन अब तक महज 16 इंजीनियरों को ही आरोप पत्र देने की तैयारी है।
Phed: राजस्थान में जल जीवन मिशन के तहत हुई गड़बड़ियां उजागर होने के मामले में निजी फर्मों के अलावा जलदाय विभाग के 150 से ज्यादा इंजीनियरों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। जल जीवन मिशन के तहत तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में जयपुर सहित पांच जिलों में श्रीश्याम व गणपति ट्यूबवेल कंपनी को बिना कार्य किए 50 करोड़ रुपए का भुगतान किए जाने के मामले में जांच तेज हो गई है। मामले में करीब 150 इंजीनियरों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सख्ती के बाद इस प्रकरण की जांच शुरू हुई, लेकिन अब इंजीनियरों की लॉबी ही जांच प्रक्रिया पर हावी होती नजर आ रही है।
जल जीवन मिशन के तहत बिना काम ही 50 करोड़ रुपए भुगतान को लेकर जांच कमेटियों में शामिल इंजीनियरों से बात की, तो सामने आया कि बिना काम भुगतान मामले में फंसे महज 16 इंजीनियरों के ही आरोप पत्र प्रस्ताव मुख्य अभियंता जल जीवन मिशन को मिले हैं। इन प्रस्तावों के परीक्षण में चौंकाने वाली स्थिति भी सामने आ रही है। कई मामलों में तो अभियंताओं को लगभग क्लीन चिट देने जैसे प्रस्ताव भेजे गए हैं। जयपुर जिले में ही करीब 20 से 22 इंजीनियरों की भूमिका संदेह के घेरे में है, लेकिन अभी तक सिर्फ 12 के प्रस्ताव ही मुख्यालय भेजे गए हैं।
रिपोर्ट देने से बच रहे इंजीनियर
खास बात यह है कि बस्सी व तुंगा क्षेत्रों में नेशनल जल जीवन मिशन टीम की फील्ड विजिट में ठेकेदारों को बिना काम भुगतान की पुष्टि की गई थी, फिर भी बस्सी-चाकसू क्षेत्र में तैनात किसी इंजीनियर का आरोप पत्र प्रस्ताव मुख्यालय नहीं भेजे गए हैं। मामले की जांच के लिए विजिलेंस और क्वालिटी कंट्रोल विंग के अभियंताओं की तीन जांच कमेटियां गठित की गई हैं। एक कमेटी सदस्य के अनुसार, कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तैनात कई इंजीनियर रिपोर्ट देने से बचने की कोशिश कर रहे हैं।