सरकार का प्लान है कि पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाकर न सिर्फ पर्यावरण को सुरक्षित बनाया जाए। बल्कि सरकारी मशीनरी की दक्षता और संसाधनों की बचत भी सुनिश्चित की जाए। इससे न केवल दुर्घटना के जोखिम कम होंगे, बल्कि मेंटेनेंस पर होने वाले अतिरिक्त खर्च से भी निजात मिलेगी।
बैठक में यह भी समीक्षा की जाएगी कि अब तक विभिन्न विभागों ने स्क्रैपिंग को लेकर क्या कदम उठाए हैं और किस स्तर तक अनुपालन हुआ है। इसके अलावा स्क्रैपिंग प्रक्रिया को और अधिक सरल और पारदर्शी बनाने के लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं।
परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार कई विभागों में ऐसे वाहन वर्षों से इस्तेमाल में हैं, जो न केवल तकनीकी रूप से असुरक्षित हो चुके हैं, बल्कि ईंधन की खपत भी अधिक करते हैं। साथ ही पर्यावरणीय मानकों के अनुसार भी ये वाहन अब उपयुक्त नहीं हैं। आज की बैठक में स्क्रैपिंग नीति को सख्ती से लागू करने को लेकर दिशा निर्देश दिए जाएंगे। इस दौरान कहा जाएगा कि यदि कोई विभाग लापरवाही बरतता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है।