Wildlife News: राजस्थान में पहली बार होने जा रहीं है तेंदुओं की गणना, जयपुर समेत अन्य जिलों में होगा सर्वे
Leopard Census : राजस्थान में पहली बार तेंदुओं की सटीक गणना की जाएगी। जंगलों से लेकर शहरी सीमाओं तक लगातार सामने आ रहे तेंदुआ-मानव संघर्ष के मामलों के बाद सरकार ने अब यह अहम कदम उठाया है।
राजस्थान में पहली बार तेंदुओं की सटीक गणना की जाएगी। जंगलों से लेकर शहरी सीमाओं तक लगातार सामने आ रहे तेंदुआ-मानव संघर्ष के मामलों के बाद सरकार ने अब यह अहम कदम उठाया है। वन मंत्री संजय शर्मा ने विधानसभा में घोषणा करते हुए बताया था कि सितंबर के अंतिम सप्ताह से कैमरा ट्रैप तकनीक की मदद से यह सर्वे शुरू होगा।
सर्वे का मुख्य उद्देश्य तेंदुओं की वास्तविक संख्या के साथ-साथ उनके रहवास, मूवमेंट और मानव बस्तियों से नज़दीकी को समझना है। कैमरा ट्रैप तकनीक के तहत जंगलों में छोटे-छोटे कैमरे लगाए जाएंगे, जो तेंदुओं की तस्वीरें, पंजों के निशान, खरोंच, मूत्र या आवाज़ जैसे संकेतों को रिकॉर्ड करेंगे। इस तकनीक से न केवल उनकी गिनती होगी, बल्कि यह भी पता चलेगा कि वे किस क्षेत्र में सक्रिय हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2022 के आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान में 721 तेंदुए थे, जो 2018 के मुकाबले करीब 51.5 प्रतिशत की वृद्धि है। यह संख्या अब बढ़कर 925 तक पहुंच चुकी है। जिसमें से 578 तेंदुए संरक्षित क्षेत्रों में हैं और 347 संरक्षित क्षेत्र से बाहर, यानी खुले इलाकों या मानव बस्तियों के पास। यह एक चिंता की बात है कि तेंदुए अब केवल जंगलों तक सीमित नहीं रहे।
जयपुर जिले की बात करें तो यहां तेंदुओं की मौजूदगी तेजी से बढ़ी है। झालाना लेपर्ड रिजर्व में जहां 2012 में सिर्फ 12 तेंदुए थे, वहीं 2022 में यह संख्या बढ़कर 40 हो गई, यानी लगभग 200% की वृद्धि। इससे यह क्षेत्र न केवल वन्यजीव प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना, बल्कि 2023 में यहां 41,077 पर्यटक तेंदुओं को देखने पहुंचे। वहीं आमागढ़ लेपर्ड सफारी में भी 12,204 पर्यटक आए।
हालांकि तेंदुओं की बढ़ती आबादी के साथ मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामले भी सामने आए हैं। 2024-25 की शुरुआत में उदयपुर में तेंदुए द्वारा 8 लोगों पर हमले की घटनाएं इस समस्या की गंभीरता को दिखाती हैं। वन विभाग का मानना है कि तेंदुओं की मौजूदगी का सटीक डेटा होने से संरक्षण और नियंत्रण नीति बनाना आसान होगा।
राज्य में तेंदुओं की उपस्थिति अब 30 से अधिक जिलों में दर्ज की जा रही है। जयपुर में ही करीब 145 तेंदुए हैं, जो राजधानी जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्र में चिंताओं को बढ़ा रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि इनकी निगरानी और संख्या का आंकलन समय रहते नहीं हुआ, तो आने वाले वर्षों में मानव-तेंदुआ टकराव और भी विकराल रूप ले सकता है।
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