जज खगेंद्र कुमार शर्मा ने महेश जोशी की जमानत पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। ईडी की ओर से अधिवक्ता अजातशत्रु ने कहा, सह आरोपियों के अनुसार जोशी तक रिश्वत राशि पहुंचती थी। इसके अलावा आरोपियों की फर्म से जोशी के बेटे की फर्म को लाखों रुपये का भुगतान हुआ। इस मामले में पर्याप्त साक्ष्य हैं और जमानत मंजूर किए जाने पर जोशी गवाहों को प्रभावित भी कर सकते हैं।
ईडी का दावा- जल जीवन मिशन घोटाले में महेश जोशी ही हैं मुख्य आरोपी
‘गवाहों की वीडियोग्राफी क्यों नहीं करवाई’
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अनुसंधान अधिकारी से गवाहों के बयानों की वीडियोग्राफी नहीं होने का कारण पूछा। इस पर अनुसंधान अधिकारी ने जवाब दिया, 35 कमरे हैं और अधिकांश भरे हुए हैं। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा, दो साल में क्या एक भी कमरा खाली नहीं मिला। अनुसंधान अधिकारी ने जवाब के लिए समय मांगा। इस पर जोशी के अधिवक्ता वीआर बाजवा ने आरोप लगाया कि ईडी समय लेकर जोशी को न्यायिक अभिरक्षा में अधिक समय तक रखना चाहती है।
जोशी के अधिवक्ता ने उठाए सवाल
-गवाह बनाए गए अभियंता ने ठेकेदारों से रिश्वत ली, तो फिर उसे आरोपी क्यों नहीं बनाया?
-मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में गवाहों की वीडियोग्राफी के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पालना क्यों नहीं की?
-जोशी के खिलाफ नोटिस जारी होने के एक साल तक कार्रवाई नहीं की और बाद में अचानक गिरफ्तार कर लिया?