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जयपुर

कैसे चमकेंगे हम… हूपर पूरे, काम अधूरे… मनमर्जी से घर-घर आते, पुराने ढर्रे पर कचरा उठाते

राजधानी में घर-घर कचरा संग्रहण को लेकर दोनों नगर निगम की हूपर व्यवस्था भले ही कागजों में पूरी हो चुकी हो, लेकिन जमीन पर अभी काफी काम की जरूरत है। पैसा खर्च होने के बाद भी कचरा संग्रहण व्यवस्था में सुधार की दरकार है। अगले सर्वेक्षण में टॉप पर आने के लिए कचरा संग्रहण व्यवस्था […]

जयपुरJul 20, 2025 / 05:23 pm

Amit Pareek

राजधानी में घर-घर कचरा संग्रहण को लेकर दोनों नगर निगम की हूपर व्यवस्था भले ही कागजों में पूरी हो चुकी हो, लेकिन जमीन पर अभी काफी काम की जरूरत है। पैसा खर्च होने के बाद भी कचरा संग्रहण व्यवस्था में सुधार की दरकार है। अगले सर्वेक्षण में टॉप पर आने के लिए कचरा संग्रहण व्यवस्था को बेहतर करने की जरूरत है। जयपुर के मुकाबले देश वे शहर जो टॉप-10 स्वच्छ शहरों में शामिल हैं, वे छह तरह के कचरे अलग-अलग एकत्र करते हैं। यहां लोग गीला-सूखा कचरे के अलावा बॉयोमेडिकल वेस्ट, घरेलू खतरनाक, ई-वेस्ट और सैनिटरी वेस्ट अलग ही हूपर में डालते हैं। इसके लिए हूपर में बॉक्स भी बने हुए हैं।
फिलहाल: घरों से आ रहा मिक्स कचरा

-राजधानी में हूपर आता है तो लोग घरों से एक ही डस्टबिन में कचरा लेकर आते हैं। मिक्स कचरा डाल देते हैं। ट्रांसफर स्टेशन पर छांटने का काम जरूर होता है।
-ज्यादातर हूपर पर हेल्पर हैं लेकिन वे हूपर पर बैठकर कचरा बीनने में व्यस्त रहते हैं। उनका मूल काम घरों से कचरा उठाकर हूपर में डालने का है। हर हेल्पर को नौ से 11 हजार रुपए तक दिए जाते हैं।
ये हो: तब हो आदर्श व्यवस्था

-छह तरह का कचरा संग्रहण की व्यवस्था निगम करे। इसके लिए संवेदकों को निर्देश दिए जाएं कि वे हूपर में अतिरिक्त बॉक्स लगाएं।

-एनजीओ के जरिये हर वार्ड की एक कॉलोनी को जागरूक किया जाए और मानकों के अनुरूप कचरा हूपर में डालें।
-हूपर तय समय पर कचरा लेने पहुंचें। अभी कई कॉलोनियों में हूपर का कोई समय निर्धारित नहीं है। कभी सुबह तो कभी दोपहर बाद हूपर आते हैं।

-निगरानी तंत्र मजबूत करने की जरूरत है। व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) तो है, लेकिन कचरा घरों से लिया जा रहा है या नहीं…इसका कोई सिस्टम नहीं है।
जहां यूजर चार्ज, वहां व्यवस्था दुरुस्त

-ग्रेटर निगम के मालवीय नगर और मुरलीपुरा जोन में कचरा उठाने का काम वी केयर कम्पनी के पास है। कम्पनी यूजर चार्ज भी वसूल रही है। अब तक 10 करोड़ रुपए के आस-पास वसूली की जा चुकी है।
-मानसरोवर जोन में रवि ट्रेवल के पास कचरा संग्रहण के साथ यूजर चार्ज भी वसूल करना है। लेकिन अब तक कम्पनी ने आरएफआइडी कार्ड ही नहीं लगाए हैं। झोटवाड़ा, विद्याधर नगर और जगतपुरा जोन में कोई सिस्टम ही विकसित नहीं हुआ है।
-हैरिटेज निगम में कचरा संग्रहण के नए टेंडर हुए हैं। सभी कम्पनियों को कचरा उठाने के बदले यूजर चार्ज वसूल करना है। अब तक किसी भी सिस्टम पर काम निगम ने शुरू नहीं किया है।
खास-खास

-700 से अधिक हूपर संचालित हो रहे शहर के 250 वार्ड में

-50 हजार रुपए से एक लाख रुपए प्रति हूपर दिया जाता किराया प्रति माह

-05 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होते कचरा संग्रहण पर प्रति माह

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