उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 8 अगस्त तक समझौते की शर्तों का पालन नहीं हुआ, तो गुर्जर समाज भविष्य की रणनीति पर विचार कर आंदोलन का रास्ता अपनाएगा। बैंसला ने कहा कि 8 अगस्त के बाद समिति समाज के सामने समझौते की स्थिति स्पष्ट करेगी और आगे की रणनीति पर मंथन कर फैसला लेगी।
समाज में बढ़ रहा असंतोष- बैंसला
विजय बैंसला ने समाज में बढ़ते असंतोष को भी उजागर किया। उन्होंने कहा कि एमबीसी (Most Backward Class) समाज के मुद्दों का अभी तक समाधान नहीं हुआ है। समझौते की शर्तों का पालन नहीं होने से गुर्जर समाज में नाराजगी बढ़ रही है। हालांकि, उन्होंने मुख्यमंत्री पर भरोसा जताते हुए कहा कि समय रहते सरकार समझौते को लागू करवाएगी। सूत्रों के मुताबिक बैंसला का यह बयान सरकार पर दबाव बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
पीलूपुरा महापंचायत में हुआ था समझौता
बताते चलें कि इस साल 9 जून को भरतपुर के पीलूपुरा में गुर्जर समाज की महापंचायत आयोजित हुई थी, जिसमें प्रदेशभर से हजारों लोग जुटे थे। इस दौरान प्रशासन को भीड़ को नियंत्रित करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। महापंचायत में देर शाम सरकार की ओर से एक मसौदा भेजा गया, जिसे विजय बैंसला ने पढ़कर समाज को सुनाया। इसके बाद आंदोलन को स्थगित करने का ऐलान किया गया। इस समझौते में समाज की कई मांगों को पूरा करने का वादा किया गया था, लेकिन अब तक इसका पूरी तरह पालन नहीं होने से समाज में बेचैनी बढ़ रही है।
2006 से शुरू हुआ था यह आंदोलन
गौरतलब है कि गुर्जर समाज का आरक्षण आंदोलन करीब दो दशक पुराना है। 2006 से शुरू हुआ यह आंदोलन समय-समय पर उग्र रूप ले चुका है। साल 2019 में समाज को 5% आरक्षण और करीब एक दशक पहले देवनारायण योजना जैसी महत्वपूर्ण उपलब्धियां मिली थीं। हालांकि, इन योजनाओं का प्रभावी ढंग से लागू न होना समाज के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। खासकर, बेटियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति और स्कूटी वितरण में हो रही देरी ने समाज की नाराजगी को और बढ़ाया है। इसके अलावा, आंदोलन के दौरान दर्ज 74 मुकदमों को सरकार द्वारा वापस न लिए जाने से भी समाज में रोष है।
आंदोलन की चेतावनी, सरकार पर दबाव
बताते चलें कि विजय बैंसला का यह बयान सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती है। गुर्जर समाज का आंदोलन पहले भी सड़कों पर उतरकर रेल और सड़क मार्ग अवरुद्ध कर चुका है, जिससे प्रशासन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था। अब 8 अगस्त की समय सीमा नजदीक आने के साथ ही समाज में आंदोलन की सुगबुगाहट तेज हो रही है। बैंसला ने स्पष्ट किया कि समाज अपनी मांगों को लेकर किसी भी हद तक जा सकता है, लेकिन अभी भी सरकार पर भरोसा कायम है।