प्रमुख शासन सचिव एवं सहकारी समितियों की रजिस्ट्रार मंजू राजपाल ने बताया कि यह योजना राज्य सरकार द्वारा दी जा रही वित्तीय सहायता से ग्राम पंचायत स्तर पर अन्न भण्डारण की सुविधा बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू की गई है। जारी एसओपी में गोदाम किराए पर देने के लिए प्राथमिकता के अनुसार दो विकल्प निर्धारित किए गए हैं।
पहला विकल्प: सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्राथमिकता
पहले विकल्प में, किसानों के लिए अन्न भण्डारण, मिड डे मील, उचित मूल्य दुकान व कृषि उत्पादों के लिए गोदाम देना प्राथमिक होगा। इसके बाद, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की आवश्यकताओं को आपातकालीन या सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्राथमिकता दी जाएगी। यदि किसी भी प्राथमिकता में उपयोग नहीं होता, तो सरकारी या निजी प्रतिष्ठानों को भी किराए पर गोदाम दिया जा सकेगा।
दूसरा विकल्प: समर्थन मूल्य खरीद शुरू होने तक भण्डारण
दूसरे विकल्प में, समिति के सदस्यों व किसानों को समर्थन मूल्य खरीद शुरू होने तक भण्डारण सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा, मशीनरी, सीमेंट, खाद-बीज जैसे उत्पादों के भण्डारण की भी अनुमति होगी।
हर गोदाम के लिए वार्षिक कैलेण्डर
हर गोदाम के लिए वार्षिक कैलेण्डर बनाया जाएगा और किराया निर्धारित कर समिति द्वारा अनुमोदन लिया जाएगा। नैफेड और एनसीसीएफ ने भी 58 गोदामों को किराए पर लेने की सहमति जताई है, जिससे इस योजना को और अधिक बल मिलेगा। गोदाम किराये पर देने के लिए पूरे वर्ष का एक कैलेण्डर तैयार किया जाएगा। गोदाम किराये पर दिए जाने से पूर्व वार्षिक कैलेण्डर, किराया निर्धारण एवं अन्य प्रस्ताव का खण्डीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा अनुमोदन किया जाएगा। न्यूनतम एक वर्ष एवं अधिकतम तीन वर्ष के लिए पंजीकृत किरायानामा के माध्यम से गोदाम किराये पर दिया जाएगा।
58 गोदामों पर नैफेड और एनसीसीएफ की नजर — कौन लेगा पहले, शुरू हुई दौड़
प्रमुख शासन सचिव ने बताया कि नैफेड तथा एनसीसीएफ द्वारा भी विश्व की सबसे बड़ी विकेन्द्रीकृत अन्न भण्डारण योजना के तहत निर्मित किए जा रहे इन गोदामों को किराए पर लिए जाने के लिए आश्वस्त किया गया है। उन्होंने बताया कि नैफेड द्वारा श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चित्तौड़गढ़, सीकर, अलवर, जयपुर, राजसमंद, टोंक, सवाईमाधोपुर, झुंझुनूं तथा उदयपुर जिले के 58 गोदामों को किराए पर लेने के लिए आश्वस्त किया गया है। जबकि, एनसीसीएफ की ओर से भी गोदामों को किराए पर लेने के लिए विभाग को पत्र लिखकर आश्वस्त किया गया है।