दरअसल, रेलवे ने जयपुर जंक्शन पर यात्रीभार कम करने के उद्देश्य से खातीपुरा स्टेशन का विकास किया था। करीब दो वर्ष पूर्व इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ था और गत वर्ष फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका वर्चुअल उद्घाटन भी किया था। रेलवे सूत्रों के अनुसार, प्रतिदिन 150 से अधिक ट्रेनें इस स्टेशन से होकर गुजरती हैं, लेकिन केवल 5 पूर्व निर्धारित पैसेंजर ट्रेनें ही यहां रुकती हैं।
अभी स्टेशन पर चल रहा काम
इसके अतिरिक्त एक स्पेशल ट्रेन वलसाड-खातीपुरा संचालित की जा रही है, लेकिन उसका संचालन अस्थायी है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि स्टेशन के कायाकल्प और तकनीकी कार्य अलग-अलग चरणों में किए जाने थे। वर्तमान में तकनीकी कार्य प्रगति पर हैं, जिनके इस वर्ष के अंत तक पूरे किए जाने की उमीद है। हालांकि इसमें देरी हुई है।
सुरक्षा इंतजाम अधूरे
इतने बड़े स्टेशन पर केवल दो सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जो अभी तक सक्रिय नहीं किए गए हैं। यहां न तो आरपीएफ की मौजूदगी है और न ही जीआरपी की चौकी। ऐसे में सुरक्षा की स्थिति भी बेहद चिंताजनक है। इसके अलावा एस्केलेटर जैसी सुविधाएं अब तक अधूरी हैं।
मेंटेनेंस लाइन की समस्या बनी मुसीबत
पिट लाइन के बिना ट्रेनों का मेंटेनेंस संभव नहीं है, इसलिए यहां से ट्रेनों का व्यवस्थित संचालन शुरू नहीं हो पाया है। अब दावा किया जा रहा है कि, पिट लाइन का कार्य इस वर्ष के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद यहां से दिल्ली के सराय रोहिल्ला और दिल्ली कैंट जैसे स्टेशनों की तर्ज पर ट्रेनों का संचालन शुरू हो सकेगा।
एक दर्जन से अधिक ट्रेनों के ठहराव की जरूरत
स्थानीय निवासियों की मांग है कि आश्रम एक्सप्रेस, खजुराहो एक्सप्रेस, डबल डेकर, जयपुर-चंडीगढ़, जयपुर-अमृतसर, मंडोर, मालानी, हरिद्वार मेल, प्रयागराज, मथुरा-बाड़मेर और गलताधाम-जमूतवी एक्सप्रेस जैसी लंबी दूरी की ट्रेनों का ठहराव इस स्टेशन पर शुरू किया जाए। इससे स्टेशन के आसपास बसे हजारों लोगों को सुविधा मिलेगी और जयपुर जंक्शन पर भी दबाव कम होगा।
खातीपुरा रेलवे स्टेशन पर ये सुविधाएं विकसित की गईं
हैरिटेज लुक में नई बिल्डिंग तैयार की गई। प्लेटफॉर्म की संया 2 से बढ़ाकर 6 की गई। आठ रेलवे लाइनें बिछाई गईं, सभी का विद्युतीकरण किया गया। दो नई गुमटियां बनाई गईं, जिनमें लाल पत्थर का उपयोग हुआ। फुटओवर ब्रिज, वेटिंग एरिया, पार्किंग, नया टिकट घर, आरक्षण केंद्र व कार्यालय समेत कई अन्य सुविधाएं विकसित की गईं।