मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राज्य में इस मानसून में करीब 10 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। वहीं, शिक्षा विभाग में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की ओर से दिए गए लक्ष्य को सुनकर विभागीय अधिकारी भी असमंजस में पड़ गए हैं। मंत्री ने छात्रों से रोज 10 और अधिकारी-कर्मचारियों को 15 पौधे लगवाने के निर्देश दिए हैं। यानी प्रति छात्र 300 पौधे लगाएगा। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 12 वीं तक के करीब 75 लाख से अधिक विद्यार्थी हैं।
ऐसे में एक महीने में शिक्षा विभाग करीब 240 करोड़ से अधिक पौधे लगाने के टारगेट में लगा है। शिक्षा मंत्री की ओर से दिए गए इस निर्देश का विरोध शुरू हो गया है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह आदेश व्यवहारिक नहीं है। राजस्थान के कुल क्षेत्रफल से अधिक पौधे कैसे लगाए जा सकते हैं।
ये आ रही परेशानियां
-राजकीय विद्यालयों के पास पर्याप्त भूमि का अभाव -जहां भूमि है वहां पर परकोटा, बाड़बंदी एवं तारबंदी का अभाव -निर्धारित मापदंड के खड्डे खोदने के लिए मानवीय संसाधन व बजट की कमी
-नर्सरी से प्रति पौधा 30-40 रुपए में क्रय करने के लिए विभागीय बजट का अभाव -दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क के अभाव के चलते पौधरोपण का जियो टैग करने में शिक्षकों को परेशानी
मजबूरी : रोज मॉनिटरिंग, भेज रहे रिपोर्ट
संस्था प्रधानों का तर्क है कि स्कूलों में रोज छात्र संख्या के अनुपात में प्रति छात्र 10 पौधे लगाने की मजबूरी हो गई है। शिक्षा अधिकारियों की ओर से रोज मॉनिरिंग की जा रही है। हर स्कूल से इसकी रिपोर्ट मांगी जा रही है। टारगेट कम होने के डर से स्कूल रोज पौधे लगवा रहे हैं।
बजट कौन देगा, संस्था प्रधान असमंजस में
इतने बड़े टारगेट को पूरा करने में एक हजार करोड़ से अधिक रुपए खर्च होंगे। ऐसे में सवाल है कि यह बजट कहां से आएगा। स्कूलों में प्रति छात्र 10 पौधे के हिसाब से सरकारी नर्सरी से रोज पौधों की खरीद की जा रही है। इतना ही नहीं, सरकारी नर्सरी में पौधे नहीं मिलने पर निजी नर्सरियों से पौधे खरीदे जा रहे हैं। संस्था प्रधान असमंजस में है कि पौधों का बजट कहां से आएगा।
बैकफुट पर आए मंत्री बोले: अधिकतम लगाने के निर्देश
मामले में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा है कि शिक्षा विभाग में प्रति छात्र 10 और प्रति शिक्षक-कर्मचारी 15 पौधे अधिकतम लगाने के निर्देश दिए हैं। अगर किसी दिन नहीं लगा पाए तो उससे कम भी हो सकते हैं। उद्देश्य सिर्फ अधिक से अधिक पौधारोपण का है।
इतने पौधे लाएंगे कहां से और इन्हें लगाएंगे कहां। फिर पूरे साल एक बच्चा पढ़ाई के साथ ही दस पौधों की देखभाल कैसे करेगा। प्रदेश के कई जिलों के कुछ विद्यालयों में तो खेल मैदान भी नहीं है, उसके बाद इतने पौधे लगा दिए तो बच्चे कहां खेलेंगे।
–बसन्त कुमार ज्याणी, प्रदेश प्रवक्ता, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ रेस्टा लक्ष्य असाधारण होकर यथार्थ से परे है जो शैक्षिक प्रक्रिया में बाधक है। सरकारी स्कूलों के पास भूमि, पानी,खड्डे खोदने के औजार व देखरेख के संसाधनों की भी भारी कमी है। ऐसे में सरकार का यह अभियान केवल औपचारिकता बनकर रह जाएगा।
–नवीन कुमार शर्मा, महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम
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