राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में गड़बड़ी की गूंज, सवालों में संविदा कर्मचारियों की भर्ती,जानें हकीकत
राज्य के सरकारी अस्पतालों में मैनपावर एजेंसियों के जरिये कराई हजारों संविदा भर्तियों पर सवाल खड़े हो गए हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि सरकारी नौकरी में मदद करने वाले इन महत्वपूर्ण पदों के लिए सीधे ठेकेदार ही दस्तावेज की जांच कर अब तक नियुक्तियां देते आ रहे हैं।
जयपुर के सरकारी अस्पतालों में संविदा भर्ती पर सवाल, फोटो एआइ
विकास जैन राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में मैनपावर एजेंसियों के जरिये कराई हजारों संविदा भर्तियों पर सवाल खड़े हो गए हैं। इन भर्तियों के माध्यम से कार्यरत रहे अभ्यर्थियों को सरकारी भर्ती में बोनस अंक भी मिलते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि सरकारी नौकरी में मदद करने वाले इन महत्वपूर्ण पदों के लिए सीधे ठेकेदार ही दस्तावेज की जांच कर अब तक नियुक्तियां देते आ रहे हैं। सवाई मानसिंह अस्पताल में गलत ब्लड चढ़ाने से दो मरीजों की मौत के मामले सामने आने के बाद एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रशासन के पास इस तरह की नियुक्तियों की जानकारी सामने आई है।
मामले को देखते हुए कॉलेज प्रशासन ने दस्तावेज जांच के लिए स्क्रूटनी कमेटी का गठन किया है। कमेटी जांच कर रही है कि किन कर्मचारियों ने कब, संविदा नियुक्ति पाई और क्या वे अनुभव प्रमाणपत्र के हकदार भी हैं या नहीं। कॉलेज के अधीन जयपुर शहर में एसएमएस, जेकेलोन, जनाना, महिला, गणगौरी, मनोरोग, श्वांस रोग संस्थान, कांवटिया, बनीपार्क, सेठी कॉलोनी अस्पताल हैं।
इनके अलावा राज्य के कई सरकारी अस्पतालों में नर्सिंग, तकनीकी स्टाफ और अन्य सहयोगी कर्मियों की नियुक्ति के लिए निजी मैनपावर एजेंसियों से संविदा पर नियुक्तियां करवाई जाती हैं। कुछ स्वास्थ्य संवर्ग में कार्य करने वाले संविदा कर्मचारियों को अनुभव के आधार पर बोनस अंक दिए जाते हैं, जो नियमित भर्तियों में चयन को आसान बनाते हैं।
गलत ब्लड चढ़ाने की जांच अब तक पूरी नहीं
सवाई मानसिंह अस्पताल में गत वर्ष बांदीकुई निवासी युवक की गलत ब्लड चढ़ाने से मौत हो गई थी। मामला उजागर हुआ तो कुछ चिकित्सा कर्मियों पर कार्रवाई हुई। इस वर्ष 21 मई को टोंक जिले की गर्भवती महिला को गलत ब्लड चढ़ा दिया था। इसके बाद कॉलेज ने आंतरिक कमेटी बनाई। चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने इस कमेटी के बजाय उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया। लेकिन ब्लड के लिए भेजी गई पर्ची में हस्ताक्षर का मिलान नहीं होने के बाद कमेटी डीएनए जांच के निष्कर्ष का इंतजार कर रही है।
कॉलेज प्रशासन को ये आशंका
कॉलेज प्रशासन को आशंका है कि बिना सरकारी दखल के की गई नियुक्तियों में पात्रता, अनुभव या वैध दस्तावेज के बिना ही मैनपावर एजेंसियों की ओर से लोगों को संविदा पर नियुक्त किया जा सकता है। इसके बाद ये अभ्यर्थी खुद को ‘अनुभवी स्वास्थ्य कर्मी’ बताकर सरकारी भर्तियों में बोनस अंकों का लाभ ले सकते हैं।
इनका कहना है…
मैनपावर ठेकेदार के जरिये ही स्वास्थ्य कर्मियों को अस्पताल में नियुक्ति देना गंभीर बात है। हमने ऐसी नियुक्तियों को स्क्रूटनी के दायरे में लिया है। इस तरह की भर्तियां अब कॉलेज प्रशासन के जरिये दस्तावेज की जांच करके होगी। -डॉ.दीपक माहेश्वरी, प्राचार्य एवं नियंत्रक, सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज
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