अनुभव: 14 मिनट में 100 रुपए का जुर्माना!
शाम 6:50 बजे एयरपोर्ट के मुख्य गेट पर पहुंचे, जहां लंबा जाम लगा था। इसमें ही करीब 10 मिनट लग गए। 7:02 पर फास्टैग स्कैन हुआ और सिस्टम ने पिक एंड ड्रॉप टाइम चालू कर दिया। पोर्च तक पहुंचने में तीन मिनट और लगे। लेकिन निकासी द्वार पर फिर जाम में फंसे रहे और 7:14 बजे बाहर निकल पाए। नतीजा? बिना किसी यात्री को उठाए या उतारे हुए भी, 14 मिनट में 100 रुपए का जुर्माना! जब काउंटर स्टाफ से विरोध जताया गया तो जवाब मिला-‘साहब, सिस्टम ऐसा है, हम क्या कर सकते हैं।
ऐसे वसूला जा रहा जुर्माना
10 मिनट तक निकलने पर कोई शुल्क नहीं10-20 मिनट: 100 रुपए
20-30 मिनट: 200 रुपए
30 मिनट से ज्यादा: 500 रुए
पर्ची खोने पर भी 500 रुपए तक का जुर्माना
जाम हटाना प्रशासन की जिम्मेदारी
मुंबई से आए यात्री मनोज अग्रवाल ने कहा कि ये सिस्टम यात्रियों की सुविधा के लिए होना चाहिए था, लेकिन यहां तो जुर्माना वसूलने का ज़रिया बन गया है। जाम हटाना प्रशासन की जिम्मेदारी है, मनमानी नहीं। वहीं एक अन्य यात्री रमेश का कहना था कि हम समय पर पहुंचे थे, लेकिन एयरपोर्ट पर जाम लग गया। बाहर निकलने में देरी हुई और जुर्माना भरना पड़ा। यह कमाई का गलत तरीका है। जयपुर की छवि इससे खराब हो रही है।जाम में फंसा था इसमें मेरी क्या गलती
मैं यात्री को छोड़कर जैसे ही निकास द्वार पर पहुंचा, सामने लंबा जाम लगा था। वहां फंस गया और कैमरे के सामने पहुंचते ही जुर्माने की पर्ची थमा दी गई। मैंने विरोध किया लेकिन किसी ने सुना तक नहीं। जाम में फंसना मेरी गलती नहीं थी, फिर जुर्माना क्यों? ये पैसा तो वापस मिलना चाहिए। -शंकर, टैक्सी चालकअब एयरपोर्ट में घुसने से डर लगता है
मैं एयरपोर्ट के बाहर ही कैब चलाता हूं, लेकिन जब से ये सिस्टम शुरू हुआ है, अंदर जाना ही बंद कर दिया। रोज़ जाम लगता है, और उसके बाद जुर्माना भी तय है। डर बना रहता है कि कहीं फिर फंस न जाऊं। -राजेश, कैब चालकये हैं जाम के कारण
- बारिश में पोर्च तक जलभराव
– सुबह- शाम फ्लाइट लोड अधिक
– सीमित समय के कारण वाहन चालक भागमभाग में वाहन पोर्च पर खड़े कर देते है, जिससे और जाम लग जाता है। – – – टैक्निकल समाधान नहीं, सीधा जुर्माना!