उन्होंने हाईटेक हॉर्टिकल्चर मॉडल क्लस्टर के अंतर्गत कृषक अशोक निठारवाल के खेत पर विकसित ग्रीन हाउस, फार्म पॉन्ड, ड्रिप सिंचाई सिस्टम और कट फ्लावर उत्पादन की व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। उन्होंने कृषक गोष्ठी के माध्यम से किसानों से सीधा संवाद कर उनके अनुभव सुने और उन्हें वैज्ञानिक तरीके से खेती करने की सलाह दी।
गोष्ठी में शासन सचिव ने फसल विविधिकरण पर जोर देते हुए किसानों को खीरे के साथ-साथ शिमला मिर्च, ब्लैकबेरी और डचरोज जैसी फसलों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि इन फसलों से अधिक लाभ कमाया जा सकता है और बाजार की मांग भी बनी रहती है।
कृषक भैरूराम थाकण के खेत में सौर ऊर्जा से संचालित पंप का निरीक्षण करते हुए विशाल ने “पीएम-कुसुम योजना” के फायदे भी किसानों को बताए। वहीं डचरोज जैसे फूलों के विपणन और लंबे समय तक संरक्षण के लिए कोल्ड स्टोरेज व रेफ्रीजरेटेड वैन की मांग पर उन्होंने जानकारी दी कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत इन पर अनुदान का प्रावधान है।
यह दौरा केवल एक निरीक्षण भर नहीं था, बल्कि किसानों के लिए एक नई सोच, नई दिशा और आत्मनिर्भरता की ओर उठाया गया बड़ा कदम भी था। अब राजस्थान के किसान वैज्ञानिक खेती की ओर अग्रसर हैं और यह बदलाव गांव की तस्वीर बदल सकता है।