भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा का बड़ा बयान, सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली तो आज कर दूंगा सरेंडर
Rajasthan News : भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा का बड़ा बयान। सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली तो आज कर दूंगा सरेंडर। कंवरलाल मीणा बोले कि राज्यपाल के यहां दया याचिका नहीं लगाई है। जानें पूरा मामला।
Rajasthan News : भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा के मामले में एक तरफ कांग्रेस हमलावर बनी हुई है, वहीं विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने इस मामले में अभी तक कोई फैसला नहीं किया है। कंवरलाल मीणा को 21 मई तक सरेंडर करना है। कंवरलाल मीणा ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी लगा रखी है। कंवरलाल ने इस मामले में राजस्थान पत्रिका से बातचीत की। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के यहां किसी तरह की दया याचिका नहीं लगाई है। न्यायालय में सजा में राहत के लिए पुनर्विचार याचिका लगा रखी है और सरेंडर की तिथि आगे बढ़ाने के लिए भी याचिका लगाई हुई है। यदि सरेंडर करने की तिथि नहीं बढ़ी तो मंगलवार को सरेंडर कर दूंगा। सूत्रों के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष भी सुप्रीम कोर्ट की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई या कंवरलाल मीणा के सरेंडर करने का ही इंतजार कर रहे हैं। दोनों में से जो भी निर्णय होगा। आगे उसी हिसाब से विधानसभा अध्यक्ष निर्णय करेंगे।
कानून के मुताबिक यदि कंवरलाल मीणा की सजा पुनर्विचार याचिका में भी कम नहीं होती या वे बरी नहीं होते तो तीन साल की सजा भुगतने के बाद वे आगामी छह साल और चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
राज्यपाल से सीएम भजनलाल मिले तो उड़ी दया याचिका की चर्चा
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सोमवार सुबह राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े से मुलाकात की थी। इस मुलाकात को कंवरलाल मामले से जोड़कर देखा जा रहा था,लेकिन सूत्रों के अनुसार दोनों के बीच उच्च शिक्षा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे पर चर्चा हुई।
दूसरी बार विधायक बने हैं मीणा
मीणा दूसरी बार विधायक बने हैं। इस बार उन्होंने अंता में कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रमोद जैन भाया को हराया था। इससे पहले वे मनोहरथाना से भी विधायक रह चुके हैं।
20 साल पुराने मामले में हुई तीन साल की सजा
सुप्रीम कोर्ट ने सात मई को हाइकोर्ट के आदेश के खिलाफ कंवरलाल मीणा की ओर से पेश प्रार्थना पत्र खारिज करते हुए 15 दिन के भीतर अधीनस्थ न्यायालय में सरेंडर करने के आदेश दिए थे। एसडीएम पर पिस्तौल तानने और जान से मारने की धमकी देने के मामले में कंवरलाल के खिलाफ वर्ष 2005 में मामला दर्ज हुआ। ट्रायल कोर्ट ने अप्रेल 2018 में साक्ष्य के अभाव में उन्हें बरी कर दिया, लेकिन 14 दिसम्बर 2020 को अकलेरा के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने दोषी मानते हुए तीन साल की सजा सुनाई। कंवरलाल की ओर से इस मामले में हाईकोर्ट में निगरानी याचिका पेश की गई, जिसे 2 मई को हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए कंवरलाल को तत्काल सरेंडर करने के आदेश दिए थे। इसके खिलाफ कंवरलाल ने सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश किया था। वहां से भी सजा पर राहत नहीं मिली।