scriptRailway News: छोटे रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की बड़ी मुसीबत, स्टेशन से घर की दूरी जेब पर पड़ रही भारी | Big problem for passengers at small railway stations, the distance from station to home is taking a toll on their pocket | Patrika News
जयपुर

Railway News: छोटे रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की बड़ी मुसीबत, स्टेशन से घर की दूरी जेब पर पड़ रही भारी

जयपुर शहर में छोटे रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा महंगी साबित हो रही है। ऑटो और कैब का ​किराया यात्रियों की जेब पर भारी पड़ रहा है।

जयपुरMay 16, 2025 / 08:11 am

anand yadav

jaipur junction

राजस्थान की राजधानी जयपुर में आमजन के लिए भले ही रेलवे टिकट किफायती हो, लेकिन रेलवे स्टेशन से घर तक की यात्रा उनकी जेब पर भारी पड़ रही है। राजधानी के छोटे रेलवे स्टेशनों पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था न होने से यात्रियों को ऑटो और कैब चालकों की मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है। यात्रियों से मनमाना किराया वसूला जा रहा है और यह स्थिति दैनिक यात्रियों के लिए असहनीय होती जा रही है। उन्होंने इसका जिम्मेदार सरकार और प्रशासन की उदासीनता को ठहराया है।
Durgapura Railway station jaipur

घनी आबादी वाले क्षेत्र, फिर भी अनदेखी

यह चिंताजनक है कि ये सभी स्टेशन घनी आबादी वाले क्षेत्रों में स्थित हैं। सांगानेर स्टेशन को अमृत भारत स्टेशन योजना में शामिल किया गया है और खातीपुरा स्टेशन को पहला सैटेलाइट स्टेशन घोषित किया गया है। जयपुर जंक्शन पर रीडवलपमेंट कार्य के चलते कई ट्रेनें इन स्टेशनों से चलाई जा रही हैं, बावजूद इसके पब्लिक ट्रांसपोर्ट की मूलभूत सुविधा नदारद है। यात्रियों की मांग है कि इन स्टेशनों को लोक परिवहन नेटवर्क से जोड़ा जाए।
Khatipura Railway station jaipur

5 किलोमीटर दूरी का 200 रुपए तक किराया

जयपुर शहर के आसपास के रेलवे स्टेशनों से महज 5 किलोमीटर दूरी तक का ​यात्रियों से ऑटो और कैब का ​किराया 200 रुपए या उससे भी ज्यादा वसूला जाता है। गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर दिल्ली से लौटे एक यात्री ने बताया कि ऑटो रिक्शा से मानसरोवर जाने के लिए किराया पूछा तो ऑटो चालक ने 150 रुपए किराया बताया। जबकि दिल्ली से जयपुर तक करीब 250 किलोमीटर दूरी का किराया ही महज 120 रुपए लगा था।

रात में तीन गुना तक ज्यादा वसूली

खासकर रात के समय यात्री सबसे ज्यादा परेशान होते हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवा ठप होने के कारण उन्हें मजबूरी में प्राइवेट ऑटो और कैब का सहारा लेना पड़ता है। कई बार किराया नियत दर से तीन गुना तक वसूला जाता है। इन वाहनों की कोई रेट लिस्ट या जवाबदेही तय नहीं है।

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