सिफारिश करने वाले नेताओं के नाम लिखे
इस खुलासे के बाद पार्टी के भीतर असंतोष भड़क उठा और कई वरिष्ठ नेताओं ने नाराजगी जाहिर की। अमित गोयल ने सुबह सोशल मीडिया पर 34 सदस्यीय कार्यकारिणी की सूची जारी की थी, जिसमें उपाध्यक्ष, महामंत्री, मंत्री, कार्यालय मंत्री, प्रवक्ता, आईटी संयोजक, सह-संयोजक, सोशल मीडिया संयोजक, प्रकोष्ठ संयोजक और मीडिया सह-संयोजक जैसे पदों पर नियुक्तियां की गई थीं। इस लिस्ट में 22 नेताओं के नाम के आगे सिफारिश करने वाले नेताओं के नाम लिखे थे, जबकि केवल 8 नेताओं को उनके कार्य के आधार पर चुना गया था। चार नेताओं के नाम के आगे कोई जानकारी नहीं थी।
CM और डिप्टी CM की सिफारिशों का बोलबाला
इस लिस्ट में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी की सिफारिशों को सबसे ज्यादा तवज्जो दी गई थी। दोनों की सिफारिश पर कुल आठ नेताओं को कार्यकारिणी में शामिल किया गया था। इसके अलावा, मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और विधायक बालमुकुंदाचार्य की सिफारिश पर दो-दो नेताओं को जगह मिली।
उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा, सांसद मंजू शर्मा, विधायक गोपाल शर्मा, विधायक कैलाश वर्मा, विधायक कालीचरण सराफ, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), पूर्व प्रत्याशी चंद्र मोहन बटवाड़ा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सिफारिश पर एक-एक नेता को कार्यकारिणी में शामिल किया गया था।
विरोध बढ़ने के बाद पोस्ट डिलीट
कार्यकारिणी की लिस्ट के सोशल मीडिया पर वायरल होने के तुरंत बाद पार्टी के भीतर और बाहर विरोध शुरू हो गया। कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की। बीजेपी नेता अनुराधा माहेश्वरी ने अपनी अनुपस्थिति पर कड़ा ऐतराज जताया और उनके समर्थकों ने भी कई कमेंट्स किए। इसके अलावा, विधायक कालीचरण सराफ, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी और अरुण चतुर्वेदी जैसे वरिष्ठ नेताओं ने भी अपने समर्थकों को जगह न मिलने पर असंतोष व्यक्त किया।
दबाव के बाद अमित गोयल ने दी सफाई
विरोध के बढ़ते दबाव को देखते हुए जिला अध्यक्ष अमित गोयल ने तुरंत सफाई दी। उन्होंने एक नई पोस्ट में कहा कि कंप्यूटर ऑपरेटर ने गलती से प्रस्तावित कार्यकारिणी की कॉपी सोशल मीडिया पर डाल दी थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जयपुर शहर बीजेपी की कार्यकारिणी को जल्द ही विधिवत रूप से घोषित किया जाएगा।
सिफारिशों का खुलासा बना विवाद का कारण
पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस घटना ने बीजेपी के भीतर सिफारिश और गुटबाजी को उजागर कर दिया है। लिस्ट में साफ तौर पर सिफारिशों का उल्लेख होने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ी, क्योंकि कई समर्पित कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर सिफारिशी नेताओं को तरजीह दी गई थी। यह मामला अब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच गया है और माना जा रहा है कि नई कार्यकारिणी की घोषणा से पहले इस विवाद को सुलझाने की कोशिश की जाएगी।