CG News: छग की नई जनभागीदारी नीति
मालूम हो कि छात्रों के सालाना फीस के साथ ही 250 रुपए प्रति छात्र जनभागीदारी शुल्क लिया जाता है। इसी शुल्क से समिति कॉलेजों के लिए खर्च करती है।
कॉलेजों के मूलभूत काम इसी मद से होते हैं। मद से खर्च करने के लिए समिति का अप्रूवल जरूरी होता है लेकिन समिति ही गठित नही होने की वजह से यह काम प्रभावित हो रहे हैं। कॉलेजों से मिली जानकारी के अनुसार समिति के अभाव में कलेक्टर की अनुशंसा पर कुछ काम हो रहे हैं। बड़े और जरूरी काम पिछले दो साल से अटके हुए हैं।
एमपी की नीति चल रही, संशोधन का काम जारी: छत्तीसगढ़ राज्य के गठन को 25 साल हो चुके हैं बावजूद राज्य में अब तक मध्यप्रदेश की जनभागीदारी नीति चल रही है। जानकारी के अनुसार इसमें संशोधन का काम जारी है। उच्च शिक्षा विभाग इस पर काम कर रहा है। माना जा रहा है कि 2026 तक छग की नई जनभागीदारी नीति आ सकती है। इसके आने के बाद हालात बदल सकते हैं।
नीति के मुताबिक काम कर रहे
जनभागीदारी समिति के अभाव में कलेक्टर भी वही काम कर पा रहे हैं जिनकी शक्तियां उन्हें जनभागीदारी नीति से मिली है। कलेक्टर के अधिकार नीति में समिति है। वे सिर्फ गैर शिक्षकीय पदों के लिए कलेक्टर दर पर नियुक्ति कर पा रहे हैं। इसके अलावा अति आवश्यक खर्च के लिए राशि जारी कर पा रहे हैं। जगदलपुर विधायक किरण देव के कार्यालय से जब इस संबंध में जानकारी मांगी गई तो उनका कहना था कि शहर के दंतेश्वरी गर्ल्स कॉलेज की जनभागीदारी समिति फाइनल हो चुकी है। जल्द ही वहां पहली बैठक के साथ समिति काम करने लगेगी। वहीं पीजी कॉलेज धरमपुरा के संबंध में कहा गया कि पीजी कॉलेज की समिति के लिए नामों पर काम जारी है। संभव है कि इस महीने समिति गठित हो जाएगी।
वहीं मामले में जब कॉलेज के लोगों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि क्षेत्रिय विधायकों की ओर से लगातार कहा जा रहा है कि समिति का गठन फाइनल स्टेज पर है लेकिन समितियां दो साल बाद भी गठित नहीं हो पाई है।
प्रो. डॉ. अनिल अग्रवाल, प्राचार्य, पीजी कॉलेज: हम लगातार
जगदलपुर विधायक से जनभागीदारी समिति के गठन की मांग कर रहे हैं। उनके कार्यालय ने बताया है कि इस महीने समिति गठित हो जाएगी। समिति गठित होने के बाद कई लंबित कामों को गति मिलेगी।
दंतेश्वरी की समिति फाइनल, पीजी पर काम जारी: विधायक कार्यालय
CG News: कॉलेजों में जनभागीदारी समिति का गठन नहीं होने की वजह से छात्रों के हित प्रभावित हो रहे हैं। छात्रों के अध्ययन विकास के लिए हर साल अपडेटेड किताबों की खरीदी की जाती है वह नहीं हो रही है। साथ ही कॉलेजों में समय-समय पर होने वाले बौद्धिक कार्यक्रम भी नहीं हो पा रहे हैं। आयोजनों के खर्च इसी मद से होते हैं। साथ ही टूट-फूट मरम्मत शौचालय, और अन्य आवश्यक सुविधाओं का विकास ठप है। जनभागीदारी समिति का मुख्य उद्देश्य महाविद्यालय का सर्वांगीण विकास करना है, लेकिन यह काम दो साल से नहीं हो पा रहे।