तेज धूप में घर से बाहर निकलना आवश्यक हो तो पोटोप्रोमोटिक अथवा सनग्लास का चश्मा पहन कर निकलना चाहिए। यह चश्मा सूर्य की तेज रोशनी के अलावा गर्म हवा और धूल मिट्टी से आंखों को बचाता है। दिन में डार्क कलर तो रात में व्हाइट कलर का चश्मा अच्छा माना गया है। चश्मा धूप में ही नहीं बल्कि बादल छाए रहने पर भी पहनना चाहिए ताकि कोई भी अल्ट्रावायलेट किरणें आपकी आंखों तक न पहुंच सके।
CG News: कैसे करें आंखों की सुरक्षा
यूवी 400 सुरक्षा प्रदान करने वाले धूप के चश्में का प्रयोग करें। उच्च गुणवत्ता वाले पॉलिकार्बोनेट या ट्राइवेक्स लेंस युक्त चश्मों का चयन करें। रैपअराउंड फ्रेम वाले सनग्लास का प्रयोग करें यह डिजाइन धूल मिट्टी को आंखों में जाने से रोकता है।
पानी, रेत, और सड़क में चमक से बचने के लिए ध्रुवीकृत लेंस का प्रयोग करें ताकि दृष्टि बाधित न हो। कप्यूटर और मोबाइल का प्रयोग करने के दौरान समय समय पर आंखों को आराम दें।
वर्किग क्लास को प्लेन चश्मा जरूरी
नेत्र विशेषज्ञ के मुताबिक वर्किंग क्लास को ऑफिस में काम के दौरान कप्यूटर और
मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल करने पर लुब्रिकेटिंग आई ड्राप्स का इस्तेमाल के साथ साथ पलकों को बार बार झपकना चाहिए। इसके साथ ही 10 से 15 मिनट में आंखों को स्क्रीन से हटा देना चाहिए। यदि पावर चश्मे नहीं लगे हो तो प्लेन चश्मा का प्रयोग अवश्य करें ताकि आंखों की होने वाली परेशानियों से बचा जा सके।
गर्मी में आंखों की एलर्जी की शिकायत भी
गर्मियों के मौसम में आंखों में ड्राइनेस एलर्जी के साथ साथ आंखों का लाल होना, आंख में पानी आना और खुजली जैसी समस्या सबसे आम बात है। कई बार तेज गर्मी में बिना चश्में के बाहर घूमने से आंखों की समस्या बहुत जल्दी आ जाती है ऐसे में इन सब
समस्याओं से बचने अच्छी क्वालिटी के चश्मे का प्रयोग करना चाहिए। सनग्लास आंखों को अल्ट्रावायलेट यूवी किरणें जो कार्निया, लेंस और रेटिना को नुकसान होने से बचाता है।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ अक्षय पराशर ने कहा की आमतौर पर धूप में एलर्जी का प्रकोप सबसे अधिक होता है इससे बचने के लिए पूरी तरह पैक चश्मा का प्रयोग करें। जिससे यूवी रेडियेशन से बचाव तथा हवा और धूल मिट्टी आंखों में प्रवेश न कर सके। जहां तक संभव हो नेत्र चिकित्सक के परामर्श के बाद ही चश्में का चयन करें।