शिक्षक संगठनों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि 28 मई तक युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया रद्द नहीं की गई, तो वे मंत्रालय का घेराव करेंगे और इसके बाद राज्यभर में व्यापक आंदोलन छेड़ा जाएगा। सरकार के इस निर्णय को शिक्षकों ने केवल बजट प्रबंधन की चालाकी बताया है जो न केवल शिक्षकों के हितों के खिलाफ है, बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रवीण श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग शिक्षा का अधिकार कानून को ढाल बनाकर शिक्षकों की संख्या में कटौती कर रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा 2008 में अधिकृत सेटअप के अनुसार ही प्रदेश के सभी विद्यालयों में शिक्षकों की पदस्थापना और वेतन भुगतान हो रहा है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग पुराने सेटअप को दरकिनार कर न्यूनतम छात्र संख्या के नाम पर शिक्षकों की संख्या में कटौती कर रहा है।
53000 पद खाली, फिर भी शिक्षकों की कटौती का प्रयास
श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश में इस समय लगभग 53,000 शिक्षक पद खाली हैं। सरकार इन्हें भरने के बजाय युक्तियुक्तकरण के नाम पर शिक्षकों की संख्या कम कर रही है, जिससे प्रशिक्षित बेरोजगारों को रोजगार से वंचित किया जा सके। उन्होंने इसे शिक्षा विरोधी मानसिकता का उदाहरण बताया।
सरकारी स्कूलों को कमजोर करने का आरोप
शिक्षक नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकारी स्कूलों की स्थिति को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है ताकि निजी स्कूलों को बढ़ावा दिया जा सके। श्रीवास्तव ने बताया कि विभाग का यह कहना कि प्राथमिक शालाओं में केवल दो कमरे होते हैं, पूरी तरह गलत है। कई स्कूलों में 5 से अधिक कमरे हैं, जिनमें कक्षावार छात्रों को अलग-अलग बैठाया जाता है। इसलिए तीन शिक्षकों की आवश्यकता हर प्राथमिक विद्यालय में बनी रहती है।