मुयमंत्री डॉ. मोहन यादव की कैबिनेट ने 20 मई को राजबाड़ा पर इंदौर और भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन बनाने को लेकर मप्र महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास अधिनियम 2025 को मंजूरी दी है। क्षेत्र की सीमा तय करने के साथ विकास को लेकर प्रारूप को अंतिम रूप देने का काम चल रहा है। सरकार के इस महत्वपूर्ण कदम के बीच अंतरराष्ट्रीय अर्बन फोरम नामक संस्था ने वर्तमान, 2030, 2047 और 2070 के इंदौर को लेकर विशेष रिपोर्ट तैयार की है। संस्था के संयोजक दीपक भंडारी व मुय सलाहकार अनुराग सिकरवार ने तीन बिंदू पर फोकस करने का कहा है।
यहां नहीं रहते स्टूडेंट्स
इंदौर में आइआइटी व आइआइएम के साथ कई मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, लेकिन तकनीकी शिक्षा लेने वालों की पढ़ाई शहर के काम नहीं आ रही है। बड़े सेगमेंट वाले नौकरी करने बाहर जाते हैं या कहा जा सकता है कि मूल राज्य में लौट जाते हैं। सरकार को कुछ ऐसे संस्थान बनाना चाहिए जो शत प्रतिशत मप्र वासियों के लिए हो। प्रदेश में अजा व अजजा की आबादी काफी है, लेकिन ग्रेजुएट कम है। औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वालों के लिए तकनीकी शिक्षण संस्था खोलना चाहिए।
कनेक्टिविटी पर हो ध्यान
सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी को माना है। उन्होंने बेंगलूरु का बड़ा उदाहरण सामने रखा है जिसमें 20 साल पहले वहां 10 ही लाइट चलती थी, लेकिन एयरपोर्ट के विस्तार के बाद 50 से 60 अंतरराष्ट्रीय लाइट चलती हैं। इसका असर विदेशी निवेश पर आया जो देश का 40 फीसदी है तो इंदौर में एक प्रतिशत भी नहीं है। वहां से सरकार को 45 हजार करोड़ से अधिक आयकर मिलता है जबकि देश के बड़े राज्य मप्र, राजस्थान, यूपी, बिहार और झारखंड को मिलाकर 40 हजार करोड़ मिलता है। इंदौर का विस्तार कर दो और एयरपोर्ट बनने चाहिए।
शहर में बनाना होगा सड़कों का जाल
शोध के अनुसार ट्रैफिक सुधार को लेकर बहुत काम करना होगा। तेजी से वाहनों की संया बढ़ रही हैं, लेकिन सड़कें आज भी संकरी हैं। नई सड़क भी 50 मीटर से ज्यादा चौड़ी नहीं बन रही हैं, जबकि हैदराबाद में 20 साल पहले 150 मीटर चौड़ी सड़क बना दी थी। वाहनों की स्थिति देखते हुए सड़कों के निर्माण हो। 15 साल में 15 लायओवर ब्रिज जरूर बने हैं, लेकिन आज भी नीचे ट्रैफिक सिग्नल काम कर रहे हैं। शहर के भविष्य के हिसाब से सड़कों का जाल बनाना होगा।
ये भी हैं महत्वपूर्ण तथ्य
–महंगाई के हिसाब से इंदौर की जीडीपी नहीं बढ़ रही है।–यहां पहले वाहनों की गति 30 किमी प्रति घंटे की औसत थी जो घटकर 20 किमी प्रति घंटा रह गई है।
–चेन्नई और मुंबई में पहले उद्योग लगते थे, लेकिन बाद में हैदराबाद व बेंगलूरु शिट हुए। इन दोनों शहरों की तुलना में इंदौर में रहना, खाना और अन्य खर्च सस्ता है।
–इंदौर में एफडीआइ महज 0.2 या 0.4 प्रतिशत है जबकि 2 से 5 प्रतिशत होना चाहिए। कनेक्टिविटी बढ़ने से ये बढ़ सकता है।