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इंदौर

बेटे ने लिवर दिया तो भतीजी ने दे दी किडनी, परिजनों के त्याग पर चल रहीं विनोद जगर की सांसें

Organ transplant – आज के दौर में ऐसा परिवार मिलना कुछ दुर्लभ सा ही है। करीब 4 साल पहले उज्जैन के कॉन्ट्रेक्टर विनोद जगर बीमार हुए और उनके लिवर के साथ ही किडनी भी खराब हो गई।

इंदौरMay 13, 2025 / 04:17 pm

deepak deewan

Ujjain contractor Vinod Jagar's son donated liver and niece donated kidney

Family Organ transplant

Organ transplant – आज के दौर में ऐसा परिवार मिलना कुछ दुर्लभ सा ही है। करीब 4 साल पहले उज्जैन के कॉन्ट्रेक्टर विनोद जगर बीमार हुए और उनके लिवर के साथ ही किडनी भी खराब हो गई। विनोद की जिंदगी बचाने के लिए ऑर्गन ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प था लेकिन तमाम कवायदें करने के बाद भी कोई अंगदानी नहीं मिला। ऐसे में उनका परिवार ही आगे आया और दादी, पत्नी व तीन बेटों ने लिवर देने की इच्छा जताई। इतना ही नहीं, विनोद जगर की भतीजी ने भी उन्हें अपनी एक किडनी दे दी। बेटे के लिवर और भतीजी की किडनी के बल पर आज भी उनकी सांसें चल रहीं हैं।
इंदौर में मध्यप्रदेश का पहला डबल ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ। यहां 16 घंटे चले ऑपरेशन में 48 वर्षीय कॉन्ट्रेक्टर विनोद जगर को बेटे का लिवर और भतीजी की किडनी लगाकर नई जिंदगी दी गई। 6 मई को एक निजी अस्पताल में यह डबल ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ था।
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करीब 4 साल से लिवर खराब था, बाद में एक किडनी भी खराब हो गई

विनोद जगर का करीब 4 साल से लिवर खराब था, बाद में एक किडनी भी खराब हो गई। उन्होंने इंदौर और अहमदाबाद के कई डॉक्टरों को दिखाया जिसके बाद ऑर्गन ट्रांसप्लान्ट ही आखिरी विकल्प नजर आया। ऐसे में विनोद जगर के बेटे यश ने लिवर और उनकी भतीजी सीमा यादव ने सहर्ष अपनी किडनी दान दे दी।

लिवर और किडनी देने के लिए घर के सभी सदस्य तैयार हो गए

विनोद जगर के बड़े बेटे विनि जगर ने बताया कि 2021 में पिता का लिवर खराब हो गया और 2024 में किडनी भी खराब हो गई। डॉक्टर ने साफ कह दिया था कि उनके पिता का मूवमेंट बंद हो सकता है, वे कभी भी कोमा में जा सकते हैं। ऑर्गन ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प था लेकिन कहीं अंग नहीं मिले। ऐसे में मेरे 24 साल के भाई यश और 32 साल की भतीजी सीमा ने अंगदान कर पापा को नई जिंदगी दी। विनी जगर के मुताबिक पापा को लिवर और किडनी देने के लिए घर के सभी सदस्य तैयार हो गए थे। इसके लिए मां, दादी और हम तीनों भाइयों ने ब्लड ग्रुप चेक करवाया, मंझले भाई यश का ब्लड ग्रुप मैच होने पर उसने पिता को लिवर दे दिया।

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