चिकित्सा भवन का किया शुभारंभ
दरअसल, विजय नगर क्षेत्र में बॉम्बे हॉस्पिटल स्थित माधव सृष्टि आरोग्य केंद्र का रविवार को विस्तार हुआ। आधुनिक चिकित्सा भवन का डॉ. मोहन भागवत ने शुभारंभ किया। इस केंद्र में कैंसर केयर के तहत रेडिएशन थेरेपी, सिटी स्कैन, कीमोथेरेपी सहित विभिन्न उपचार की सुविधाएं मिलेंगी। इसके अलावा प्राकृतिक चिकित्सा, होयोपैथी, आयुर्वेद, न्यूरोपैथी भी उपलब्ध होगी। इस विशिष्ट सेवा प्रकल्प के लिए आए डॉ. भागवत ने चिकित्सा भवन में मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी ली। साथ ही कई सुविधाओं का जायजा भी लिया। शुभारंभ कार्यक्रम में फार्मा जगत के यात उद्योगपति अनिल सतवानी, मालवा प्रांत संघचालक प्रकाश शास्त्री और श्री गुरुजी सेवा न्यास के अध्यक्ष मुकेश हजेला ने डॉ भागवत के साथ मंच साझा किया। अंत में डॉ. भागवत ने माधव सृष्टि आरोग्य केंद्र प्रकल्प से जुड़े कई लोगों का समान भी किया।
जिम्मेदारों को आईना भी दिखाया
माधव सृष्टि आरोग्य केंद्र में रियायती मूल्य पर जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही हैं। इस पर डॉ. भागवत ने इस सेवा प्रकल्प के लिए श्री गुरुजी सेवा न्यास की प्रशंसा की, लेकिन साथ ही महंगी होती जा रही शिक्षा और स्वास्थ्य के वर्तमान परिदृश्य को सामने रखकर जिम्मेदारों को आईना भी दिखा दिया। डॉ. भागवत ने कहा, स्वास्थ्य और शिक्षा आज समाज की बड़ी आवश्यकता है। स्वस्थ शरीर से ही शिक्षा हासिल की जा सकती है और इसलिए व्यक्ति शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए हर समर्पण करता है, लेकिन आज शिक्षा और स्वास्थ्य आम लोगों की पहुंच से बाहर हो गई है। स्थिति ऐसी है कि सुविधाओं में तो प्रगति है, लेकिन वो सुविधाएं अब मिलती नहीं। पहले शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों ही सेवा के नाते किए जाते थे, लेकिन आज मनुष्य की सोच ने इसे कमर्शियल बना दिया है। इसे लेकर सोचा जाना चाहिए।
भागवत ने सुनाया किस्सा
डॉ. भागवत ने किस्सा सुनाते हुए कहा, मुझे एक बार बचपन में मलेरिया हो गया था। मैं 3 दिन स्कूल नहीं गया तो स्कूल से टीचर घर आ गए कि क्यों नहीं आ रहे हो। हालांकि, यह उनका काम नहीं था, उन्हें इस चीज का वेतन नहीं मिलता था, लेकिन उन्हें शिक्षा की चिंता थी। एक दिन बाद वो जंगल से जड़ीबूटी लेकर फिर घर आए और पिताजी को दे दी। उन्होंने यह सहजभाव से किया, क्योंकि उन्हें चिंता थी कि जो छात्र पढ़ने आया वो पढ़े। स्वास्थ्य के लिए भी 8-10 गांव में वैद्य रहते थे। पता चलता था कि कोई बीमार है तो खुद पहुंचते थे, और इलाज के बिना विश्राम नहीं करते थे, लेकिन अब हिसाब करना पड़ता है कि कितना खर्च होगा। सहज, सुलभ और कम खर्च वाली चिकित्सा चाहिए।
मनोविज्ञान से मरीज को कर दिया ठीक
एक उदाहरण देते हुए कहा, एक डॉक्टर ने मरीज से कहा कि आप बीमार हैं, मुश्किल से तीन महीने शेष हैं। वो चिता में आ गया, परिवार में बच्चों की शादी, कर्जा और पढ़ाई सबका हिसाब जोड़ने लगा। उनके एक परिचित थे, वो घर पहुंचे और पूछा कि क्या-क्या बोझ है। उन्होंने अनुमानित दस लाख खर्च बताया। उन्होंने दस लाख का चेक बनाकर दे दिया और कहा कि आप चिंता नहीं करना, सिर्फ ठीक होने में मन लगाओ। डॉ. भागवत ने कहा, वो ठीक हो गया और अभी तक है, लेकिन दस लाख का चेक देने वाले मित्र से पूछा कि सीधे चेक दे दिया तो उन्होंने कहा कि ये एक मनोविज्ञान है। पैसे मेरे पास भी नहीं थे, मैंने तो सिर्फ चेक दे दिया था, लेकिन उसका असर हुआ। यदि उसे ये भरोसा नहीं मिलता तो वो चिंता ही करता रहता।
लोग बोलते हैं संघ क्या करता है? मैं बोलता हूं बस…
डॉ. मोहन भागवत ने एक संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि कई बार उनसे पूछा जाता है कि संघ क्या काम करता है तो ऐसे लोगों को मैं एक ही जवाब देता हूं कि संघ कुछ काम नहीं करता है, संघ केवल शाखा चलाता है। हां, संघ के स्वयंसेवक जरूर समाज के लिए सब कुछ करते हैं।
हमारे यहां पर्सन स्पेसिफिक उपचार पद्धति
डॉ. भागवत ने कहा, कई देशों में विभिन्न आयामों को लेकर नॉर्स तय होते हैं। इसे सभी पर लागू कर दिया जाता है, जबकि सभी जगह की परिस्थितियां एक समान नहीं होतीं। जैसे न्यूयार्क या किसी देश में रिसर्च की गई और उसके अनुसार परिणाम को एक मैगजीन में छाप दिया। अब सभी उसे पालन करें, लेकिन यह नहीं देखा जाता है कि हर जगह की जलवायु अलग है। हमारे यहां ऐसा नहीं है। हमारे यहां पर्सन स्पेसिफिक उपचार पद्धति है, क्योंकि यहां परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं। इसलिए हमारे यहां चिकित्सा पद्धति भी अलग-अलग हैं।