मालूम हो, गुलाब कोठारी ने 19 मई को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में ‘स्त्री देह से आगे’ विषय पर संवाद करते हुए शहर की विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी सैकड़ों महिलाओं को संबोधित किया था। उन्होंने वर्तमान में टूटते रिश्ते, संवेदनाओं की कमी, नैतिकता का पतन, ममता के भाव में कमी जैसे कई बिंदुओं पर अपनी राय रखी थी। सोनम रघुवंशी मामले में ऐसे कई बिंदु वर्तमान में चर्चा का विषय हैं। संवाद में शामिल शहर की महिलाओं ने इस घटनाक्रम पर गुलाब कोठारी के उद्बोधन को लेकर एक बार फिर अपने विचार व्यक्त किए हैं।
स्त्री में शिक्षा के संस्कार होना भी जरूरी
पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने अपनी पुस्तक ‘स्त्री देह से आगे’ पर चर्चा में कहा था कि स्त्री को शिक्षित करना जरूरी है, लेकिन उसमें संस्कारों की शिक्षा भी शामिल होनी चाहिए। सोनम के कृत्य से संस्कारों की कमी दिखती है। संस्कार ऐसे हों कि ऐसी मानसिकता न पनप पाए। – ज्योति छाजेड़, शिक्षाविद्
संस्कार बचेंगे तो देश भी बचेगा
स्त्री में संस्कार, नैतिकता और ममत्व के भाव होते हैं, लेकिन जो बदलाव हुआ है, उसे देखकर घबराहट होती है। उदाहरण राजा की हत्या होना है। विचारधारा है कि स्त्री ऐसा नहीं कर सकती, क्योंकि नारी में कोमलता, ममत्व उसे पुरुष से भिन्न रखते हैं। ये पक्ष बचेंगे, तभी संस्कृति और देश बचेगा। – ज्योति जैन, लेखिका
बेटियों में खत्म हो रही प्यार, ममता और करुणा
लड़कियों में लड़का बनने चाह की वजह से उनमें प्यार, ममता और करुणा की भावना खत्म होती जा रही है। कोठारी जी ने लड़कियों में पुरुषत्व बढ़ने को लेकर चिंता जताते हुए इस पर चर्चा की थी। इस हत्याकांड ने इस सोच को वास्तविकता में प्रदर्शित कर दिया है। – सुप्रिया मदान, अध्यक्ष, एम. ग्रुप
तकनीक के दौर में खत्म होती भावनाएं
तकनीक के दौर में महिलाओं की भावनाएं खत्म हो गई हैं। छोटी सी चीज थी कि सोनम किसी और से प्यार करती है। उसे परिवार से बात करनी थी या राजा को समझाना था। उसकी हत्या कोई हल नहीं है, वह तलाक भी ले सकती थी। गुलाब कोठारीजी ने ठीक कहा था कि वह दौर लौटना चाहिए। महिलाओं में संस्कार और भावनाएं होनी बहुत जरूरी हैं। – पुलकित शर्मा, फाउंडर, अनूठी बाय पुलकित
यह भरोसे और ममता की भी हत्या है
यह सिर्फ एक हत्या नहीं थी, यह भरोसे, ममता, आत्मीयता की हत्या थी। हाल ही में कोठारी ने स्त्री की दिव्यता पर पड़ी पाश्चात्य जीवनशैली की धूल को झटका है। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘स्त्री देह से आगे’ में लिखा है कि ‘स्त्री किसी देश का उत्थान और पतन करने में एकमात्र उपादान है।’ – डॉ. अंजना चक्रपाणि मिश्र, लेखिका
युवा पीढ़ी विवाह को संस्कार नहीं मान रही
देशभर में चर्चित राजा रघुवंशी हत्याकांड ने इंदौर को शर्मसार कर दिया है। दाम्पत्य जीवन में संस्कार के अभाव में परिवार टूट रहे हैं। कोठारी ने कहा था कि आज की पीढ़ी विवाह को संस्कार या मर्यादा जन्मों का बंधन न मानकर लिव इन रिलेशनशिप का स्वरूप देना चाहती है। तीन दिन की ट्रांजिट रिमांड पर सोनम रघुवंशी, खुलेंगे कत्ल के कई राज शादी केवल सामाजिक या शारीरिक बंधन नहीं
वरिष्ठ चिंतक गुलाब कोठारीजी के अनुसार, शादी केवल सामाजिक या शारीरिक बंधन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक मिलन है। प्रश्न है कि क्या हम शादी को सिर्फ एक सामाजिक अनिवार्यता मानते हैं या फिर एक ऐसी आत्मा के रूप में जो हमारे साथ सात जन्मों का सफर तय कर रही है। आत्माओं का मिलन न हो तो शादी औपचारिकता बनकर रह जाती है।
– पायल जायसवाल, फाउंडर, इंदौर बिजनेस वुमन एम्पॉवरमेंट
भारतीय संस्कृति में शादी का संबंध आत्मा से
भारतीय संस्कृति में शादी शरीर से नहीं, आत्मा से आत्मा की होती है, लेकिन इस घटना ने यह प्रश्न खड़ा कर दिया है कि क्या इस प्रोफेशनल युग में हम संवेदना शून्य हो चुके हैं? क्या सच में स्त्री के भीतर का स्त्रीत्व समाप्ति की कगार पर है? गुलाब कोठारीजी ने कहा था कि शादी आत्मा का रिश्ता है, जो सात जन्म तक चलता है। – जया श्रीवास्तव, सोशल एक्टिविस्ट एंड एंटरप्रेन्योर
बच्चियों को संस्कार देना मां की जिम्मेदारी
गुलाब कोठारीजी ने कहा था कि आजकल बच्चियां पढ़ रही हैं, उन्हें संस्कार देना मां की जिम्मेदारी होती है। बच्चे की परवरिश में मां का दायित्व ज्यादा होता है। पहले की मां बोलती थीं कि संस्कारों से दोनों कुल का मान बढ़ाना। आज कहते हैं, पसंद से शादी करो। यह गलत नहीं है, लेकिन संस्कार जरूरी हैं।