माता-पिता ने दिया साथ, अस्पताल में घूमता रहा पीड़ित
घटना के बाद जब परिवार पुलिस के पास पहुंचा। एफ़आईआर दर्ज हुई, लेकिन उसके बाद अस्पतालों के चक्कर लगाने का दर्दनाक सिलसिला शुरू हो गया। ज़िला अस्पताल में घंटों इंतज़ार के बाद बताया गया कि यहां स्वाब टेस्ट नहीं होती। कभी सीएमएचओ के दफ्तर, कभी दूसरे सरकारी अस्पतालों में पीड़ित और उसका परिवार भटकता। आख़िरकार जब एमवाय अस्पताल में जांच हुई, तब तक 17 घंटे बीत चुके थे।
देरी की जांच के आदेश- अधीक्षक डॉ. अशोक यादव
एमवाय अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अशोक यादव कहा कि पीड़ित के जांच में की गई देरी की इन्वेस्टीगेशन के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने आगे कहा कि सीएमएचओ और जिला अस्पताल के ड्यूटी डॉक्टरों से देरी के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है। छोटे स्वास्थ्य केंद्रों पर भी स्वाब परीक्षण की सुविधा उपलब्ध है।
आरोपियों को भेजा गया सुधार गृह
पीड़ित की शिकायत पर दोनों आरोपी नाबालिग लड़कों को हिरासत में लिया गया था। इसमें से एक की उम्र 16 और दूसरे की 17 साल है। दोनों आरोपियों को बाल सुधार गृह में भेज दिया गया है। बताया जा रहा कि आरोपी छात्र नहीं हैं, उनमें से एक मिस्त्री है और अक्सर खुले परिसर में खेलने आते थे। दोनों पर पॉक्सो (POCSO) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।