कुटुंब न्यायालय में लोक अदालत की शुरुआत प्रधान न्यायाधीश केएस बारिया, द्वितीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश एससी सक्सेना एवं अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश राकेश कुमार जैन ने दीप प्रज्ज्वलन कर की। कुटुंब न्यायालय के नाजिर राकेश गुप्ता के मुताबिक, लोक अदालत में तीनों पीठ के समक्ष 237 मामले सुनवाई के लिए रखे गए थे। इनमें से 61 में समझौता हुआ।
केस-1
60 साल में मांगा तलाक
60 साल के व्यापारी दीपक कुमार सोनी (परिवर्तित नाम) की 1989 में प्रतिमा सोनी (परिवर्तित नाम) से शादी हुई थी। दोनों की 32 और 22 साल की बेटियां हैं। कोरोना काल के बाद से दंपती में विवाद होने लगे थे। रिश्तेदारों एवं बच्चों ने समझाने की कोशिश की, लेकिन दोनों नहीं माने और वर्ष 2025 की शुरुआत में तलाक के लिए कुटुंब न्यायालय में केस दायर किया। कोर्ट ने दोनों की काउंसलिंग करवाई कि उम्र के इस दौर में उन्हें एक-दूसरे की जरूरत है। बच्चों के भविष्य को लेकर भी समझाया। इसके बाद दोनों ने गलती मानते हुए फिर से साथ रहने की हामी भरी। लोक अदालत में दोनों ने तलाक का केस समाप्त करवाया और घर रवाना हुए।
ये भी पढ़ें: संविदा कर्मियों और आउटसोर्स कर्मचारियों को मिलेगा बकाया वेतन, बजट जारी केस-2
सास को दी समझाइश तो बच गया घर
अनुजा (परिवर्तित नाम) का विवाह वर्ष 2021 में इंजीनियर आकाश कुमार (परिवर्तित नाम) से हुआ था। उनकी सवा साल की बेटी है। सास का मायका भी घर के नजदीक है, जिससे उनके परिजन का घर में आना-जाना लगा रहता था। परिजन ने सास को बहू के खिलाफ भड़काना शुरू किया तो आए दिन कलह होने लगी। इस पर अनुजा मायके आ गई।
पत्नी ने 2024 में भरण-पोषण का केस लगाया। काउंसलिंग हुई तो विवाद ही असली वजह सामने आई। सास को भी न्यायालय ने समझाइश दी। सास ने बहू को आश्वासन दिया कि वे अब विवाद नहीं करेंगी। पत्नी ने भी ससुराल में रहने की सहमति दी। लोक अदालत से ही परिवार के सभी लोग एक साथ घर रवाना हुए।