scriptविदेश में बजाया योग का डंका, छह देशों में लगा चुके योग शिविर, कर्नाटक में दस हजार योग शिक्षक किए तैयार | Yoga has made its mark abroad, has organised yoga camps in six countries, has trained ten thousand yoga teachers in Karnataka | Patrika News
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विदेश में बजाया योग का डंका, छह देशों में लगा चुके योग शिविर, कर्नाटक में दस हजार योग शिक्षक किए तैयार

पतंजलि योगपीठ दक्षिण भारत के प्रभारी योग गुरु भंवरलाल आर्य ने विदेश में योग का डंका बजवाया है। वे यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई), कतर, बहरीन, शारजाह, थाइलैण्ड एवं सिंगापुर में योग शिविर लगा चुके हैं। विश्व योग दिवस के अवसर पर राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में उन्होंने योग की यात्रा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। प्रस्तुत हैं उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश:

हुबलीJun 20, 2025 / 09:20 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

भंवरलाल आर्य

भंवरलाल आर्य

वर्तमान में कर्नाटक में रोजाना 1500 जगहों पर योग की कक्षाएं चल रही हैं। समूचे कर्नाटक में दस हजार योग शिक्षक तैयार हो चुके हैं। उनके फेसबुक पेज पर सात लाख से अधिक सबस्क्राइबर है। पिछले महीने करीब 2 करोड़ 60 लाख लोगों ने उनके फेसबुक लाइव को देखा है।
सवाल: कर्नाटक को किस तरह कर्मस्थली बनाया?
आर्य:
जब 13 वर्ष का था तब पांचवी कक्षा पास करने के बाद वर्ष 1980 में कर्नाटक आ गया। कर्नाटक के सिंधनुर (रायचूर) में करीब दस वर्ष तक कपड़े की दुुकान पर कार्य किया। इसके बाद वर्ष 1990 में सिंधनुर में खुद का कपड़े का व्यापार शुरू किया। दस साल में कपड़े के व्यापार का विस्तार किया, नई शाखाएं खोंलीं। रिश्तेदारों एवं परिचितों को कर्नाटक के विभिन्न शहरों में कपड़े एवं इलेक्ट्रिकल्स की दुकानें करवाने में सहयोग किया।
सवाल: क्या आपके योग शिविर कन्नड़ भाषा में रहते हैं?
आर्य:
साल 2000 में राजीव दीक्षित के संपर्क में आया। तब उनका लिखा एक पोस्टकार्ड मुझे मिला। करीब पांच साल तक उनके साथ कार्य करने का अवसर मिला। दीक्षित स्वदेशी अपनाओ विदेशी भगाओ की मुहिम से जुड़े थे। मैं उनके हिंदी के भाषणों का कन्नड़ में अनुवाद करता था। वर्ष 1985 में नाटक मंचन के लिए पेट्रोल के जनरेटर किराए पर देने का प्रचलन था। तब मैं जनरेटर का ऑपरेटर बनकर जाता था। इससे कन्नड़ भाषा सीखने में मदद मिली।
सवाल: आपका योग से जुड़ाव कैसे हुआ?
आर्य:
वर्ष 1990 में सिद्ध समाधि योग कर्नाटक से जुड़ा। करीब 15 वर्ष तक इस संस्था के साथ जुड़ा रहा। वर्ष 2005 में अपने व्यापार के सिलसिले में बाइक से गांव-गांव घूमता था। एक समय मुझे अस्थमा हो गया। इसी दौरान आस्था चैनल पर योग शिक्षक की भर्ती के लिए विज्ञापन निकला। योग में मेरी रुचि पहले से थी। फिर हरिद्वार जाकर एक महीने तक प्रशिक्षण लिया। इससे मेरा अस्थमा ठीक हो गया। फिर 2005 में कर्नाटक में पतंजलि योग समिति रायचूर का पहला जिलाध्यक्ष बना। फिर गांव-गांव जाकर योग सिखाना शुरू किया। वर्ष 2007 में वीआरएल समूह ने बाबा रामदेव को बुलाया। उस समय मैं सात जिलों पर मंडल प्रभारी था। तब शिविर में 30 हजार लोग शमिल हुए थे।
सवाल: योग को कर्नाटक में किस तरह विस्तार दिया?
आर्य:
वर्ष 2009 में प्रांत प्रभारी रहते कर्नाटक में180 दिन की योग जागरण यात्रा निकाली। इसमें प्रशासनिक अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए। इसके बाद जिला एवं तहसील स्तर पर संगठन को मजबूत किया। वर्ष 2010-11 में पांच हजार लोगों को हरिद्वार में योग शिक्षक का प्रशिक्षण दिलाया। साल 2020 में योग दिवस के दिन से योग की लाइव शुरुआत की। फेसबुक पर 1 मई से 28 मई 2025 तक 2 करोड़ 60 लाख लोगों ने लाइव देखा है।
सवाल: अब तक कितने लोगों को योग से जोड़ा है?
आर्य:
सुबह 6 बजे लाइव योग सिखा रहा हूं। फेसबुक पर सात लाख से अधिक सबस्क्राइबर है। पिछले साढ़े तीन दशक में लाखों लोगों को योग सीखा चुका हूं। ऑनलाइन सीखने वाले करोड़ो में हैं। पिछले तीस साल में योग को लेकर सड़क मार्ग से 18 लाख किमी की कार यात्रा की है। आकाशवाणी होसपेट में दो साल तक योगामृत नाम से प्रतिदिन आधे घंटे का कार्यक्रम टेलिकास्ट हुआ। एक दशक पहले होसपेट के हम्पी कन्नड़ विश्वविद्यालय में योग अध्ययन विभाग शुरू करवाया।
सवाल: क्या कोरोना काल के बाद योग के प्रति लोगों को झुकाव बढ़ा है?
आर्य:
कोरोना के बाद लोग स्वास्थ्य को लेकर अधिक सचेत हुए हैं। ऐसे में योग के प्रति लगाव बढ़ा है। लोग प्रतिदिन आधे से डेढ़ घंटे का समय योग के लिए दे रहे हैं।
सवाल: ऐसे कौन से प्रमुुख योगासन एवं प्राणायाम हैं जो आसानी से किए जा सकते हैं और अधिक प्रभावी हैं?
आर्य:
सूर्य नमस्कार में एडी से चोटी तक शरीर के सभी अंगों का व्यायाम हो जाता है। यौगिग जोगिंग भी 12 आसनों का एक पैकेज है।
सवाल: अपनी जन्मभूमि के लिए किस तरह सेवाएं दे रहे हैं?
आर्य:
अपनी आय का करीब एक चौथाई हिस्सा शिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य सेवा कार्य में लगा रहा हूं। राजकुमार आर्य फाउंडेशन के माध्यम से राजस्थान में गुन्दियाल ग्राम में सरकारी स्कूल को गोद लिया। यहां कई बार पौधरोपण किया गया। खेल मैदान बनाया है। यहां के कई बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर खेल स्पर्धाओं में भाग ले चुके हैं। दर्जनों छात्र सरकारी सेवा में चयनित हो चुके हैं। स्कूल में बोटनीकल गार्डन बनवाया जा रहा है।
सवाल: योग के अलावा आप किन सेवाओं से जुड़े हैं?
आर्य:
2010 में रक्तदान अभियान चलाया। हर जिले में शिविर लगाया। मैं साल में तीन से चार बार रक्त देता हूं। सिंधनुर में रामदेव चैरिटेबल ट्रस्ट में करीब दस वर्ष तक सचिव पद पर कार्य किया। करीब दो दशक पहले सिंधनुर में बाबा रामदेव का भव्य मंदिर बना। सिंधनुर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहकर शाखा प्रमुख का दायित्व निभाया। आर्यवीर दल के राज्य एवं राष्ट्रीय सेमीनार में हिस्सा लिया। चैंबर ऑफ कॉमर्स एवं जेसीज सिंधनुर का चेयरमैन रहा।

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