कथावाचिका: नानी बाई का मायरा सती माता की कथा है जिसमें भजन-कीर्तन की भक्ति-रसधारा बहेगी। यह कथा परिवार में प्रेम और त्याग का संदेश देती है। महिलाएं घर की आत्मा होती हैं, वही घर को मंदिर बनाती हैं और बच्चों में संस्कार भरती हैं।
कथावाचिका: घर का माहौल बच्चों के संस्कार गढ़ता है। दस साल तक का बच्चा देखकर सीखता है। अगर घर में पूजा-पाठ और भक्ति का माहौल होगा तो बच्चे संस्कारी बनेंगे। माताएं कथा में आती हैं और फिर घर जाकर वही संस्कार बच्चों में भरती हैं।
कथावाचिका: आजकल लोग निजी जीवन जीना चाहते हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और मोबाइल ने कई चीजें बदल दी हैं। छोटी-छोटी बातें तुरंत बाहर आ जाती हैं। महिलाएं अब सीरियल और नाटकों में ज्यादा उलझ रही हैं, जबकि पहले रामायण और धार्मिक कार्यक्रम अधिक देखे जाते थे। लेकिन मैं मानती हूं कि अगर आप आध्यात्म से जुड़ेंगे तो जीवन सरल हो जाएगा। जब मन में ईश्वर का भय और श्रद्धा होगी तो कोई गलत काम नहीं करेंगे।
कथावाचिका: मैं यूट्यूब, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर सक्रिय हूं। कई बार कथाओं का लाइव प्रसारण भी होता है। रामकथाएं मैंने पचास से अधिक और भागवत कथाएं सैकड़ों में करवाई हैं। यह मेरी पांचवी शिवमहापुराण कथा है और नानी बाई का मायरा दूसरी बार करवा रही हूं।
कथावाचिका: धर्म जीवन जीने का माध्यम है और आध्यात्म आपके हृदय में बसता है। जब आप सच्चे धार्मिक होंगे, तभी आप वास्तविक अर्थों में आध्यात्मिक हो पाएंगे।