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हुबली

धर्म जीवन जीने का माध्यम, आध्यात्म आत्मा का पथ, आध्यात्म से जुड़कर ही जीवन की दिशा सुधर सकती हैं

अयोध्या से पधारीं प्रसिद्ध कथावाचिका सुभद्रा कृष्ण का मानना है कि धर्म केवल अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। उनका संदेश साफ है कि घर का वातावरण ही बच्चों के संस्कार तय करता है और अध्यात्म से जुड़कर ही जीवन की दिशा सुधर सकती है। इस दौरान वे श्रोताओं को यह संदेश देंगी कि आध्यात्म और धर्म मिलकर ही जीवन को संतुलित और पवित्र बनाते हैं। वे इन दिनों हुब्बल्ली (कर्नाटक) में 11 दिन तक महाशिवपुराण और 4 दिन तक नानी बाई का मायरा की अमृतमयी कथा का श्रवण करा रही हैं। उन्होंने राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में धर्म, संस्कार, आध्यात्म समेत विभिन्न विषयों पर बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:

हुबलीJul 20, 2025 / 05:43 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

अयोध्या से पधारीं प्रसिद्ध कथावाचिका सुभद्रा कृष्ण

अयोध्या से पधारीं प्रसिद्ध कथावाचिका सुभद्रा कृष्ण

प्रश्न: महाशिवपुराण की कथा में श्रोताओं को क्या संदेश देना चाहेंगी?
कथावाचिका:
महाशिवपुराण केवल कहानी नहीं है, यह लोगों को धर्म के प्रति जागरूक करने का माध्यम है। भगवान शिव कहते हैं कि अपनी सारी बुराइयां मुझे अर्पित कर दो। क्रोध, नशा, नकारात्मकता, सब मुझ पर चढ़ा दो। शिव ने स्वयं संसार का विष पिया। यही असली अध्यात्म है कि अपनी बुरी आदतों को भगवान को समर्पित कर दें और जीवन को सरल बना लें।
प्रश्न: नानी बाई का मायरा कथा में क्या विशेषता रहेगी?
कथावाचिका:
नानी बाई का मायरा सती माता की कथा है जिसमें भजन-कीर्तन की भक्ति-रसधारा बहेगी। यह कथा परिवार में प्रेम और त्याग का संदेश देती है। महिलाएं घर की आत्मा होती हैं, वही घर को मंदिर बनाती हैं और बच्चों में संस्कार भरती हैं।
प्रश्न: आपके अनुसार बच्चों के संस्कार कैसे बनते हैं?
कथावाचिका:
घर का माहौल बच्चों के संस्कार गढ़ता है। दस साल तक का बच्चा देखकर सीखता है। अगर घर में पूजा-पाठ और भक्ति का माहौल होगा तो बच्चे संस्कारी बनेंगे। माताएं कथा में आती हैं और फिर घर जाकर वही संस्कार बच्चों में भरती हैं।
प्रश्न: आधुनिक समय में बढ़ती नकारात्मकता और सोशल मीडिया के प्रभाव को आप कैसे देखती हैं?
कथावाचिका:
आजकल लोग निजी जीवन जीना चाहते हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और मोबाइल ने कई चीजें बदल दी हैं। छोटी-छोटी बातें तुरंत बाहर आ जाती हैं। महिलाएं अब सीरियल और नाटकों में ज्यादा उलझ रही हैं, जबकि पहले रामायण और धार्मिक कार्यक्रम अधिक देखे जाते थे। लेकिन मैं मानती हूं कि अगर आप आध्यात्म से जुड़ेंगे तो जीवन सरल हो जाएगा। जब मन में ईश्वर का भय और श्रद्धा होगी तो कोई गलत काम नहीं करेंगे।
प्रश्न: सोशल मीडिया और आपके कथाओं का जुड़ाव कैसा है?
कथावाचिका:
मैं यूट्यूब, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर सक्रिय हूं। कई बार कथाओं का लाइव प्रसारण भी होता है। रामकथाएं मैंने पचास से अधिक और भागवत कथाएं सैकड़ों में करवाई हैं। यह मेरी पांचवी शिवमहापुराण कथा है और नानी बाई का मायरा दूसरी बार करवा रही हूं।
प्रश्न: आपके विचार में धर्म और आध्यात्म में क्या संबंध है?
कथावाचिका:
धर्म जीवन जीने का माध्यम है और आध्यात्म आपके हृदय में बसता है। जब आप सच्चे धार्मिक होंगे, तभी आप वास्तविक अर्थों में आध्यात्मिक हो पाएंगे।

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