ब्लड ग्रुप की मूल बातें
रक्त समूह मुख्य रूप से ABO सिस्टम और Rh फैक्टर (पॉज़िटिव या नेगेटिव) के आधार पर तय होते हैं। जैसे – A+, A−, B+, B−, AB+, AB−, O+, O− इनमें से O− (O निगेटिव) को यूनिवर्सल डोनर कहा जाता है क्योंकि यह किसी को भी दिया जा सकता है, जबकि AB+ को यूनिवर्सल रिसीवर माना जाता है क्योंकि यह किसी भी ब्लड ग्रुप को ले सकता है। दुर्लभ रक्त समूह कौन से हैं?
- Bombay Blood Group (HH Blood Group):
यह दुनिया का सबसे दुर्लभ ब्लड ग्रुप है। यह ब्लड ग्रुप भारत में सबसे पहले मुंबई (तब बॉम्बे) में पाया गया था, इसलिए इसका नाम बॉम्बे ब्लड ग्रुप पड़ा। यह ब्लड ग्रुप लगभग हर 10,000 में से 1 व्यक्ति में पाया जाता है। - Rh-null Blood Group (Golden Blood):
इसे गोल्डन ब्लड भी कहा जाता है क्योंकि यह सबसे अधिक दुर्लभ है। दुनिया में अब तक ऐसे केवल कुछ ही दर्जन लोग मिले हैं जिनका Rh-null ब्लड ग्रुप है। इसका उपयोग सिर्फ बहुत गंभीर परिस्थितियों में ही किया जाता है। - Diego, Kidd, Duffy जैसे दुर्लभ उप-ग्रुप्स:
ये ब्लड ग्रुप्स काफी कम लोगों में पाए जाते हैं और आम तौर पर केवल विशेष जांच से ही पहचाने जा सकते हैं। इनका महत्व तब बढ़ता है जब मरीज को बार-बार रक्त चढ़ाने की जरूरत हो।
क्यों जरूरी है इनकी जानकारी?
दुर्लभ ब्लड ग्रुप्स की जानकारी होना मेडिकल इमरजेंसी में जान बचाने में मददगार हो सकता है। अगर आपका या आपके किसी परिजन का ब्लड ग्रुप दुर्लभ है, तो उसे ब्लड डोनर रजिस्ट्री में रजिस्टर कराना चाहिए ताकि जरूरत के वक्त मदद मिल सके।