झूठ 1: डायबिटीज सिर्फ बूढ़ों को होती है
डायबिटीज किसी भी उम्र में हो सकती है। टाइप 1 डायबिटीज अक्सर बच्चों और युवाओं में शुरू होती है, लेकिन किसी भी उम्र में हो सकती है। टाइप 2 डायबिटीज ज्यादातर बड़ों में होती है, लेकिन आजकल के लाइफस्टाइल की वजह से बच्चे और टीनेजर भी इससे पीड़ित हो रहे हैं, खासकर अगर वजन ज्यादा है या परिवार में पहले से डायबिटीज का इतिहास है।
झूठ 2: लक्षण नहीं तो मेरी डायबिटीज सीरियस नहीं
आप ठीक महसूस कर सकते हैं, लेकिन फिर भी आपके ब्लड शुगर का लेवल खतरनाक रूप से ज्यादा हो सकता है। डायबिटीज को “साइलेंट डिजीज” भी कहा जाता है, क्योंकि कई लोग सालों तक बिना लक्षण के जीते रहते हैं। लेकिन अंदर से ये आपके दिल, किडनी, आंख और नसों को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए सिर्फ महसूस करने से नहीं, बल्कि ब्लड टेस्ट, डॉक्टर की चेक-अप और शुगर मॉनिटरिंग से ही असली हाल पता चलता है।
झूठ 3: अगर शुगर नॉर्मल है, तो दवा छोड़ सकते हैं
ये सबसे खतरनाक झूठों में से एक है! डायबिटीज एक बार हो जाए तो ये पूरी तरह खत्म नहीं होती। भले ही आपका ब्लड शुगर नॉर्मल आ रहा हो, आपको दवा, डाइट और एक्सरसाइज जारी रखनी चाहिए। जब तक डॉक्टर खुद बंद करने को न कहें। खुद से दवा बंद करने से शुगर तेजी से बढ़ सकती है और गंभीर कॉम्प्लिकेशन का खतरा बढ़ जाता है।
ये झूठ आते कहां से हैं?
ज्यादातर डायबिटीज के झूठ पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आ रहे हैं या सोशल मीडिया पर फैलते हैं। इंटरनेट के जमाने में भी गैर-एक्सपर्ट लोग इन्हें आगे बढ़ाते हैं, जिससे सच और झूठ में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए सही जानकारी हमेशा डॉक्टर और हेल्थ एजेंसी से ही लें।