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Blood Test for Cancer : साधारण ब्लड टेस्ट से कैंसर का पता अब 3 साल पहले लगेगा

Blood Test Can Detect Cancer 3 Years Before Symptoms Appear : पिछले कुछ सालों में कैंसर दुनिया भर में लाखों लोगों की जान ले रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि इसका पता अक्सर बहुत देर से चलता है.

भारतJun 20, 2025 / 03:21 pm

Manoj Kumar

Blood Test for Cancer

Blood Test for Cancer : साधारण ब्लड टेस्ट से कैंसर का पता अब 3 साल पहले लगेगा (फोटो सोर्स : Freepik)

Blood Test for Cancer : पिछले कुछ सालों में कैंसर लोगों की मौत का एक बड़ा कारण बन गया है और हर साल लाखों लोगों की जान ले रहा है। इलाज के कई नए तरीके आने के बावजूद सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि कैंसर का पता अक्सर बहुत देर से चलता है। अगर इसे पहले ही पकड़ लिया जाए तो न सिर्फ इलाज आसान हो सकता है, बल्कि ज़िंदगी बचने के चांस भी बढ़ जाते हैं। लेकिन शुरुआती स्टेज में कैंसर पकड़ना बहुत मुश्किल होता है – यही वजह है कि दुनियाभर में इससे होने वाली मौतें लगातार बढ़ रही हैं।
अब, अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक नई स्टडी में दावा किया है कि एक साधारण ब्लड टेस्ट से कैंसर का पता लक्षणों के दिखने से कई साल पहले ही लगाया जा सकता है। ये खोज अगर सफल साबित होती है, तो कैंसर की जल्दी पहचान और रोकथाम में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। ये स्टडी ‘कैंसर डिस्कवरी’ नाम की जानी-मानी मेडिकल जर्नल में छपी है।
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आपको बता दें की एक साधारण ब्लड टेस्ट से कैंसर का पता बहुत पहले लगाया जा सकता है — यहां तक कि जब उसके कोई लक्षण भी नहीं दिखते। दरअसल, कैंसर का इलाज इस बात पर बहुत हद तक निर्भर करता है कि बीमारी का पता कितनी जल्दी चल गया। अगर ट्यूमर शुरुआत में ही पकड़ में आ जाए, तो वो छोटे होते हैं, कम खतरनाक होते हैं और इलाज का बेहतर असर होता है।
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के रिसर्चर युक्सुआन वांग के मुताबिक, “अगर कैंसर का पता 3 साल पहले चल जाए तो इलाज शुरू करने का काफी समय मिल जाता है। उस वक्त तक ट्यूमर बहुत ज़्यादा नहीं फैला होता और उसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।”
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इस तरह का समय मिलना बहुत मायने रखता है, खासकर तब जब कैंसर का टाइप बहुत तेज़ी से फैलने वाला हो।

इस रिसर्च की सबसे अहम बात है एक खास तरह का जेनेटिक मैटीरियल जिसे Circulating Tumour DNA (ctDNA) कहा जाता है। जब किसी को कैंसर होता है, तो ट्यूमर अपने डीएनए के छोटे-छोटे टुकड़े खून में छोड़ते हैं। हालांकि ये डीएनए के अंश बहुत ही छोटे होते हैं, खासकर कैंसर की शुरुआत में, इसलिए इन्हें पकड़ना काफी मुश्किल होता है। लेकिन इस नई तकनीक से अब इन्हें पहले ही पकड़ पाना संभव हो रहा है।

कैसे ब्लड टेस्ट से कैंसर का पता चलता है?

वैज्ञानिकों ने कैंसर का पता लगाने के लिए खून में मौजूद डीएनए के छोटे-छोटे टुकड़ों को पहचाना। ये टुकड़े ट्यूमर से निकलते हैं और खून में आ जाते हैं। इन्हें पहचानना आसान नहीं होता, इसलिए वैज्ञानिकों ने एक खास तरीका अपनाया।
उन्होंने एक मल्टी-स्टेप एल्गोरिदम (कई स्टेप्स वाला कंप्यूटर प्रोग्राम) और क्रॉस-चेकिंग तकनीक का इस्तेमाल किया ताकि खून में उन डीएनए पैटर्न को ढूंढा जा सके जो अक्सर ट्यूमर से जुड़े होते हैं। इसी तकनीक के आधार पर एक नया टेस्ट बनाया गया है जिसे MCED (Multi-Cancer Early Detection) कहा जाता है। इसका मकसद है — खून में कैंसर से जुड़े जेनेटिक बदलावों को बहुत पहले पकड़ लेना।
रिसर्च टीम ने इस तकनीक को परखने के लिए 52 लोगों के ब्लड सैंपल की जांच की। इन्हें दो ग्रुप्स में बांटा गया था, जिससे तुलना और नतीजों की पुष्टि बेहतर तरीके से की जा सके।
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इन 52 लोगों में से 26 ऐसे थे जिन्हें ब्लड सैंपल देने के छह महीने के अंदर कैंसर हो गया था। बाकी के 26 लोग पूरी तरह से ठीक थे और उन्हें कैंसर नहीं हुआ।
एक नया कैंसर टेस्ट आया है, जिसे MCED कहते हैं. इस टेस्ट से 8 कैंसर के मामले तब पकड़े गए जब उनके कोई लक्षण भी नहीं दिख रहे थे और न ही डॉक्टरों ने उनकी पहचान की थी. हालाँकि, इस टेस्ट से अभी सिर्फ 31% कैंसर ही पकड़े जा रहे हैं, लेकिन अच्छी बात ये है कि ये उन कैंसर का पता लगा रहा है, जो बिल्कुल शुरुआती स्टेज में हैं. यानी, ये एक तरह से कैंसर को बीमारी बढ़ने से काफी पहले ही पकड़ने में मदद कर रहा है.

कैसे पता चला?

वैज्ञानिकों ने उन लोगों के पुराने ब्लड सैंपल चेक किए, जिनमें बाद में कैंसर का पता चला था. कमाल की बात ये है कि कुछ लोगों के 3 से 3.5 साल पुराने ब्लड सैंपल में भी कैंसर के निशान मिल गए! इसका मतलब है कि कैंसर कोशिकाएं खून में अपना DNA बहुत पहले से छोड़ना शुरू कर देती हैं, भले ही उनकी मात्रा बहुत कम हो. अभी के टेस्ट में इस DNA को पकड़ने की क्षमता उतनी अच्छी नहीं है, जितनी होनी चाहिए, लेकिन ये दिखाता है कि सही संवेदनशीलता वाला टेस्ट बन जाए तो कैंसर को बहुत पहले पकड़ा जा सकता है.

चुनौतियां अभी बाकी हैं

डॉ. बर्ट वोगेलस्टीन, जो इस रिसर्च से जुड़े हैं, बताते हैं कि ये टेस्ट कैंसर को बहुत शुरुआती स्टेज में पकड़ने की उम्मीद जगाता है. लेकिन अभी हमें टेस्ट की संवेदनशीलता (Sensitivity) बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि कैंसर जितना शुरुआती स्टेज में होता है, खून में उसके DNA के निशान उतने ही कम होते हैं, और उन्हें पकड़ना मुश्किल होता है.

पॉजिटिव टेस्ट के बाद क्या?

सिर्फ टेस्ट का पता चलना ही काफी नहीं है. अगर किसी का ब्लड टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो उसके बाद क्या होगा? डॉ. निकोलस पापाडोपोलोस कहते हैं कि हमें ये तय करना होगा कि पॉजिटिव टेस्ट आने के बाद मरीजों का आगे इलाज कैसे किया जाए. इसमें और जांचें, बायोप्सी, या शुरुआती इलाज शामिल हो सकते हैं.
हालांकि अभी कुछ लिमिटेशन हैं, लेकिन ये रिसर्च कैंसर की जांच में एक नई उम्मीद लेकर आई है. अगर ये टेस्ट कामयाब हो जाते हैं और इलाज के नए तरीकों के साथ इनका इस्तेमाल होता है, तो कैंसर से बचने की दर में काफी सुधार आ सकता है. ये कैंसर की पहचान और इलाज के तरीके में एक बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है.

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